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Petrol-Diesel: मानसून की वजह से जुलाई के पहले पखवाड़े में घटी पेट्रोल-डीजल की मांग, इन्हें लगा बड़ा झटका

मानसून के दौरान भारी बारिश की वजह से लोगों ने अपनी यात्रा की योजना टाल दी है. इसके अलावा कृषि क्षेत्र में भी ईंधन की मांग घट गई है. इसका कुल असर पेट्रोल और डीजल की मांग पर देखने को मिला.

Petrol-Diesel Demand: जून के आखिरी सप्ताह से देश के अलग-अलग हिस्सों में मानसून की बारिश जारी है. इसका असर रेल से लेकर रोड ट्रांसपोर्ट पर सीधे रुप से पड़ रहा है. बारिश के कारण लोग घरों से कम निकल रहे हैं. ऐसे में जुलाई के पहले पखवाड़े में पेट्रोल और डीजल की बिक्री घटी है. सोमवार को जारी आंकड़ों की माने तो मानसून के दौरान भारी बारिश की वजह से लोगों ने अपनी यात्रा की योजना टाल दी है. इसके अलावा कृषि क्षेत्र में भी ईंधन की मांग घट गई है. इसका कुल असर पेट्रोल और डीजल की मांग पर देखने को मिला. मांग कम होने से सरकार और ईंधन कंपनियों को घाटा लगा है. इसका असर पेट्रोल पंप मालिकों पर भी देखने के लिए मिला है.

15 प्रतिशत कम हुई डीजल की मांग

एक जुलाई से लेकर 15 जुलाई तक में देश में सबसे ज्यादा मांग वाले डीजल की बिक्री में 15 प्रतिशत की बड़ी गिरावट देखने को मिली. इस दौरान कुल मांग घटकर 29.6 लाख टन रह गई. बता दें कि कुल ईंधन मांग में डीजल का हिस्सा करीब 40 प्रतिशत का है. हालांकि, गर्मियों में वाहनों में एसी का इस्तेमाल बढ़ने तथा कृषि क्षेत्र की मांग में उछाल से अप्रैल और मई में डीजल की मांग क्रमश: 6.7 प्रतिशत और 9.3 प्रतिशत बढ़ी थी. वहीं, जून में भी डीजल की मांग में करीब 20 प्रतिशत की कमी देखने को मिली थी. एक से 15 जून के दौरान डीजल की बिक्री 36.8 लाख टन रही थी.

10.5 प्रतिशत घटी पेट्रोल की कीमत

जुलाई के महीने में बारिश ने पेट्रोल की मांग पर भी असर डाला है. एक जुलाई से लेकर 15 जुलाई तक में पेट्रोल की मांग में करीब 10.5 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली. इस दौरान मांग घटकर 12.5 लाख टन रह गयी. मासिक आधार पर अगर देखा जाए तो पेट्रोल की बिक्री करीब 10.8 प्रतिशत तक घटी है. भारत में विनिर्माण और सेवा क्षेत्र दोनों आगे बढ़ रहे हैं जिससे देश में ईंधन की मांग भी तेज रही है. इसकी वजह से मार्च के दूसरे पखवाड़े में पेट्रोल और डीजल की मांग बढ़ी थी. मगर मानसून ने गाड़ियों पर सीधे रुप से ब्रेक लगा दी है.

कोविड की तुलना में बेहतर रही स्थिति

इस वर्ष एक जुलाई से 15 जुलाई तक के दौरान पेट्रोल और डीजल की खपत कोविड के महामारी दौर से बेहतर रही है. पेट्रोल की खपत कोविड प्रभावित जुलाई 2021 की तुलना में 12.5 प्रतिशत अधिक और महामारी-पूर्व की अवधि एक से 15 जुलाई 2019 की तुलना में 16.6 प्रतिशत अधिक रही है.वहीं, डीजल की खपत जुलाई 2021 से 10.1 प्रतिशत बढ़ी है. जबकि जुलाई 2019 के पहले पखवाड़े की तुलना में यह 1.1 प्रतिशत कम रही है.

विमान ईंधन की मांग बढ़ी

मानसून के दौरान एक तरफ जहां पेट्रोल और डीजल की मांग में गिरवट देखने को मिली, वहीं, हवाईं यात्राओं में वृद्धि देखने को मिली है. इस दौरान विमान ईंधन की मांग पिछले वर्ष एक जुलाई से 15 जुलाई के अवधि की तुलना में 6.1 प्रतिशत ज्यादा देखने को मिली. इस दौरान विमान ईंधन की मांग 3,01,800 टन रही. बड़ी बात ये है कि इस पखवाड़े में मांग जुलाई 2021 के पहले पखवाड़े की तुलना में दोगुना से ज्यादा है. हालांकि, मासिक आधार पर विमान ईंधन की बिक्री में करीब 6.7 प्रतिशत की गिरावट आई है. एक से 15 जून के दौरान एटीएफ की बिक्री 3,23,500 टन रही.

रसोई गैस की बिक्री में भी आयी कमी

रसोई गैस यानी एलपीजी की बिक्री वार्षिक आधार पर 6.3 प्रतिशत घटकर 12.7 लाख टन रह गई है. रसोई गैस की खपत जुलाई, 2021 की तुलना में छह प्रतिशत अधिक और महामारी-पूर्व की अवधि एक से 15 जुलाई, 2019 की तुलना में 3.7 प्रतिशत अधिक है. मासिक आधार पर जून के पहले पखवाड़े में 12.2 लाख टन की तुलना में रसोई गैस की मांग 3.8 प्रतिशत बढ़ी है.

विक्रेताओं पर क्या पड़ा असर

झारखंड पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स विक्रेता संघ के प्रवक्ता प्रमोद बताते हैं कि डीजल की बिक्री में गिरवट से पेट्रोल विक्रेताओं को खास नुकसान हुआ है. उनके मासिक लाभ पर इसका असर पड़ा है. बाजार मांग कम है. मगर, पेट्रोल-डीजल की आवक सामान्य है. इसके बाद भी उत्पाद की कीमतों पर इसका असर देखने को नहीं मिल रहा है. हालांकि, मानसून के कारण कई देशों के मांग में कमी आयी है. इसके कारण से कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट देखने को मिल रहा है. उन्होंने बताया कि एक्सयूवी और छोटी गाड़ियों के घरेलू बाजार में इलेक्ट्रिक कार के उतरने से भी असर देखने को मिल रहा है.

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