पेट्रोल और डीजल की कीमत में केंद्र सरकार की तरफ से दी गयी रियायत के बाद देश में पेट्रोल और डीजल की कीमत में बड़ी गिरावट दर्ज की गयी. पेट्रोल के उत्पाद शुल्क में पांच रुपये व डीजल के उत्पाद शुल्क में दस रुपये की कटौती हुई है.
कम हुई यह कीमत स्थिर नहीं है हर दिन की तरह पेट्रोल डीजल की नयी दर जारी होती रहेगी. अगर उस कीमत में बढ़ोतरी होती है, तो एक बार फिर पेट्रोल – डीजल की कीमत बढ़ सकती है. हमें यह समझना होगा कि हम तेल आयात करते हैं. आज के समय में हम अपनी जरूरत का करीब 86 फीसदी तेल का आयात करते हैं.
तेल के दाम किसी सरकार के हाथ में नहीं हैं. पेट्रोल और डीजल पूरी तरह नियंत्रण से बाहर हैं, यह सरकार के हाथ में नहीं है कि इसकी कीमतों को स्थिर रख सकें. जुलाई 2010 में मनमोहन सिंह की सरकार ने पेट्रोल को नियंत्रण मुक्त किया था. साल 2014 में मोदी सरकार ने डीजल को नियंत्रण मुक्त किया. पेट्रोल और डीजल की कीमत कई राज्यों में 120 रुपये के पार थी.
सरकार ने इस पर लगने वाले उत्पाद शुल्क को कम किया है लेकिन ऐसा नहीं है कि सरकार ने इसे हमेशा के लिए कम कर दिया है. जब तेल की कीमतें कम होती हैं, तो सरकार उत्पाद शुल्क बढ़ा देती है. कोरोना काल का भी पूरा असर है खपत और बिक्री कोरोना काल में तेल की मात्रा की तुलना में 40 प्रतिशत तक कम हो गई थी.
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सरकार द्वारा पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में क्रमश: पांच रुपये तथा 10 रुपये की कटौती किये जाने के बाद बुधवार को कर्नाटक, सिक्किम और मणिपुर की सरकारों ने भी मूल्य वर्धित कर (वैट) में कटौती की घोषणा की. तीनों राज्य सरकारों ने वैट में पेट्रोल और डीजल दोनों पर सात-सात रूपये की कटौती की है.
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