Petrol Diesel Price : दिवाली से 18वें दिन बाद पेट्रोल-डीजल की कीमत में नहीं हुई बढ़ोतरी, जाने अपने शहर का भाव
अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेलों की कीमतों में बढ़ोतरी होने के बाद उपभोक्ताओं की जेब पर बोझ बढ़ा दिया जाता है, लेकिन जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में कमी आती है, तो पेट्रोलियम कंपनियों और सरकार की ओर से उसका फायदा उपभोक्ताओं को नहीं दिया जाता है.
नई दिल्ली : सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम उत्पाद कंपनियों की ओर से आज यानी सोमवार को भी देश के करोड़ों उपभोक्ताओं को राहत प्रदान की गई है. दिवाली के बाद से आज करीब 18वां दिन है, जब सरकारी पेट्रोलियम कंपनियों की ओर से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में इजाफा नहीं किया गया है. इन दोनों आवश्यक ईंधनों की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं होने से करोड़ों उपभोक्ताओं को राहत मिल रही है.
तकरीबन दो हफ्ते पहले तेल की बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार की ओर से वैट (वैल्यू एडेड टैक्स) कम करने का फैसला किया गया था. सरकार की ओर से उठाए गए इस कदम से पेट्रोल-डीजल का इस्तेमाल करने वाले लाखों उपभोक्ताओं ने राहत की सांस ली. आम तौर पर पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले वैट से राज्य सरकारों को राजस्व की आमदनी होती है. पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले वैट की दरें विभिन्न राज्यों में अलग-अलग है. किसी राज्य में वहां की सरकार तेल पर 12 परसेंट वैट वसूलती है, तो किसी राज्य में इसकी दर 16 परसेंट से भी अधिक वसूली जाती है.
पेट्रोल-डीजल पर वैट से राज्यों को होती मोटी कमाई
हालांकि, केंद्र सरकार की ओर से पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले वैट में कमी करने के ऐलान के बाद कई राज्यों ने ऐतराज भी जाहिर किया था. केंद्र सरकार के इस फैसले पर विरोध ज्यादातर गैर-भाजपा शासित राज्य ही कर रहे थे. इन राज्यों की मांग थी कि वैट में कटौती से होने वाले राजस्व की कमी की भरपाई केंद्र सरकार को करनी चाहिए. वैट से होने वाली मोटी कमाई की वजह से ही ज्यादातर राज्य पेट्रोल-डीजल जैसे आवश्यक ईंधन को जीएसटी के दायरे में लाने के पक्ष में खड़े दिखाई नहीं देते.
जीएसटी की राह में राज्य अटका रहे रोड़ा
पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने को लेकर केंद्र सरकार और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई बार अपने सार्वजनिक बयानों में इस बात का जिक्र किया है कि यदि राज्य सरकारें पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के अंदर लाने को लेकर अपनी सहमति जता दें, तो केंद्र सरकार को इसमें कोई आपत्ति नहीं है. मगर, राज्य सरकारों की ओर से अवरोध उत्पन्न किए जाने की वजह से इन्हें जीएसटी के दायरे में नहीं लाया जा रहा है.
जीएसटी में आने से सस्ता हो सकता है पेट्रोल-डीजल
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने से इनकी कीमतों में रोजाना होने वाली वृद्धि से आम उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी और उस पर एकमुश्त टैक्स का भुगतान करना पड़ेगा. उनका कहना है कि इन दोनों आवश्यक ईंधनों को जीएसटी के दायरे में आने के बाद इनकी कीमतों में भी भारी कमी दर्ज की जा सकेगी.
कच्चे तेल का सस्ता होने पर उपभोक्ताओं को नहीं मिलता लाभ
इसके साथ ही, अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेलों की कीमतों में बढ़ोतरी होने के बाद उपभोक्ताओं की जेब पर बोझ बढ़ा दिया जाता है, लेकिन जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में कमी आती है, तो पेट्रोलियम कंपनियों और सरकार की ओर से उसका फायदा उपभोक्ताओं को नहीं दिया जाता है.
दिल्ली में पेट्रोल 103 रुपये के पार
बता दें कि इस समय देश की राजधानी दिल्ली में पेट्रोल का दाम 103.97 रुपये जबकि डीजल का दाम 86.67 रुपये प्रति लीटर है. वहीं, देश की औद्योगिक राजधानी मुंबई में पेट्रोल की कीमत 109.98 रुपये और डीजल की कीमत 94.14 रुपये प्रति लीटर है. जबकि, पूर्वी भारत के प्रमुख शहरों में शुमार और पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में पेट्रोल का दाम 104.67 रुपये जबकि डीजल का दाम 89.79 रुपये लीटर है. दक्षिण भारत के प्रमुख शहर चेन्नई में भी पेट्रोल 101.40 रुपये लीटर है तो डीजल 91.43 रुपये लीटर है.
रोजाना सुबह 6 बजे बढ़ जाती है कीमत
बता दें कि सरकारी पेट्रोलियम कंपनियों की ओर से रोजाना सुबह 6 बजे पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी कर दी जाती है. सुबह 6 बजे से ही नई दरें लागू हो जाती हैं. पेट्रोल और डीजल के दाम में एक्साइज ड्यूटी, वैट, डीलरों का कमीशन और अन्य चीजें जोड़ने के बाद दाम तकरीबन दोगुना हो जाता है. जीएसटी के दायरे में आने के बाद इन सभी चीजों में कटौती हो जाएगी और दाम आधा से भी कम हो जाएगा.
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ऐसे चेक करें अपने शहर का भाव
पेट्रोल-डीजल की कीमत आप एसएमएस के जरिए भी जान सकते हैं. इंडियन ऑयल की वेबसाइट के अनुसार, आपको आरएसपी और अपने शहर का कोड लिखकर 9224992249 नंबर पर भेजना होगा. हर शहर का कोड अलग-अलग है, जो आपको आईओसीएल की वेबसाइट से मिल जाएगा.
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