तेल की कीमत अंतराष्ट्रीय बाजार में एक बार फिर गिरती नजर आ रही है. चीन में कोरोना के बढ़ते मामले भी इसके पीछे की वजह बताए जा रहे है. चीन क्रूड ऑयल का इम्पोर्ट करने वाला बड़ा देश है जहां कोरोना का कहर जारी है. तेल की कीमत की वजह से ब्याज दरों में बढ़ोतरी की उम्मीदों ने वैश्विक आर्थिक मंदी और कम ईंधन की मांग में वृद्धि को लेकर चिंता बढ़ा दी है.
पिछले सत्र की बात करें तो इसमें 3% की गिरावट के बाद ब्रेंट क्रूड वायदा $ 1.12, या 1.2% गिरकर 91.71 डॉलर प्रति बैरल पर 0113 GMT पर आ गया. यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड फ्यूचर्स 1.25 डॉलर या 1.4% की गिरावट के साथ 85.63 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया.
100,000 बैरल प्रति दिन उत्पादन में कटौती
यहां चर्चा कर दें कि पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) और उनके सहयोगियों को ओपेक + के नाम से जाना जाता है. इस संगठन ने अक्टूबर में प्रति दिन 100,000 बैरल प्रति दिन उत्पादन में कटौती करने का फैसला किया है. इसके बाद तेल ने सोमवार को मजबूत लाभ कमाने का काम किया.
OANDA के वरिष्ठ बाजार विश्लेषक एडवर्ड मोया ने एक नोट जारी किया है जिसमें उन्होंने कहा है कि ओपेक+ उत्पादन कटौती उछाल को कम करना वैश्विक आर्थिक चुनौतियों की लॉन्ड्री सूची को देखते हुए करना मुश्किल नहीं था. छ उम्मीद से बेहतर अमेरिकी सेवाओं के आंकड़ों के बाद भी, वैश्विक विकास बिल्कुल भी अच्छा नहीं नजर आ रहा है. ऐसा होना कच्चे तेल की कीमतों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है.
Also Read: China Coronavirus Lockdown: चीन में फिर से लगा लॉकडाउन, ड्रैगन ने लगाया यात्रा प्रतिबंध
चीन की सख्त जीरो-कोविड नीति की चर्चा हर ओर होती है. इसकी वजह से चेंगदू जैसे शहरों में अवाजाही पर असर पड़ा है. 21.2 मिलियन लोगों पर यहां जीरो-कोविड नीति का असर नजर आ रहा है. यहां लॉकउाउन की वजह से लोगों को आना जाना बंद है जिसका असर तेल की मांग पर पड़ा है. एएनजेड रिसर्च के विश्लेषकों ने अपनी राय रखी है. उन्होंने कहा है कि वायरस के अधिक संक्रामक का प्रसार चिंता का विषय है. चीन के ज्यादातर भागों में बलपूर्वक लॉकडाउन लगाया जाना तेल की कीमत पर असर डाल सकता है. चीन जो है वो जीरो-कोविड नीति पर विश्वास करने वाला देश है.
मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के लिए निवेशक ब्याज दरों में और बढ़ोतरी पर भी पैनी नजर बनाये हुए हैं. यूरोपीय सेंट्रल बैंक की गुरुवार को बैठक होने वाली है जिसमें व्यापक रूप से कीमत में तेजी पर विचार किया जा सकता है. ईसीबी की बैठक के बाद 21 सितंबर को यू.एस. फेडरल रिजर्व की बैठक होने वाली है.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.