Loading election data...

भारत में फिर बढ़ सकते हैं पेट्रोल-डीजल के दाम, 2014 के बाद क्रूड ऑयल पहली बार 100 डॉलर बैरल के करीब

ब्लूमबर्ग इकोनॉमिक्स के शॉक मॉडल के अनुसार, चालू फरवरी महीने के अंत तक कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर पहुंचने के बाद अमेरिका और यूरोप में महंगाई करीब 0.5 फीसदी बढ़ जाएगी, जिसका वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ना लाजिमी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 14, 2022 1:41 PM

नई दिल्ली : भारत के आम उपभोक्ताओं को एक बार फिर महंगाई की जोरदार मार लग सकती है. इसका कारण यह है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में अक्टूबर 2014 के बाद पहली बार कच्चे तेल का दाम 100 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गया है. कच्चे तेल की कीमत में आई रिकॉर्ड बढ़ोतरी के बाद कयास यह लगाया जा रहा है कि इसके प्रभाव से भारत में पेट्रोल-डीजल के दामों में बढ़ोतरी दर्ज की जा सकती है. हालांकि, देश के पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों की वजह से पिछले साल की दिवाली के समय से आवश्यक ईंधनों की कीमत में अभी तक इजाफा नहीं हुआ है.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय बाजार में अक्टूबर 2014 के बाद पहली बार ब्रेंट क्रूड फ्यूचर्स (बीसीएफ) 95.56 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया. अक्टूबर 2014 में ब्रेंट क्रूड फ्यूचर्स 96.16 डॉलर प्रति बैरल के साथ रिकॉर्ड हाई पर था. बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले की स्थिति में अमेरिका और यूरोपीय प्रतिबंधों की आशंका में अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें सात साल की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गईं.

भारतीय बाजार के लिए झटका

बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि यूक्रेन तनाव के चलते कच्चे तेल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई, जो भारतीय बाजारों के लिए एक तगड़ा झटका है. उनका कहना है कि वैश्विक बाजार महंगाई के साथ समझौता करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन यूक्रेन तनाव की वजह से बाजार का माहौल पूरी तरह बदल गया है.

Also Read: रूस-यूक्रेन विवाद से भारत में बढ़ेगी महंगाई! पेट्रोल-डीजल के दामों में फिर हो सकता है इजाफा, ये है कारण
कहां पड़ेगा कितना असर?

ब्लूमबर्ग इकोनॉमिक्स के शॉक मॉडल के अनुसार, चालू फरवरी महीने के अंत तक कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर पहुंचने के बाद अमेरिका और यूरोप में महंगाई करीब 0.5 फीसदी बढ़ जाएगी, जिसका वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ना लाजिमी है. वहीं, जेपी मॉर्गन चेज़ एंड कंपनी ने आगाह किया है कि कच्चे तेल का दाम 150 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचने से वैश्विक आर्थिक वृद्धि की गति को रोक देगी और महंगाई के स्तर को 7 फीसदी के पार तक पहुंचा देगी, जो अधिकांश मौद्रिक नीति निर्माताओं द्वारा निर्धारित लक्ष्य से करीब तीन गुना अधिक है.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Next Article

Exit mobile version