नयी दिल्ली : देश में अप्रैल महीने के दौरान ईंधन की मांग में भारी गिरावट दर्ज की गयी. राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के चलते आर्थिक गतिविधियों के थमने और आवागमन बंद रहने से ईंधन मांग में करीब 70 फीसदी तक की गिरावट रही. हालांकि, एलपीजी की मांग में इस दौरान 12 फीसदी तक वृद्धि रही. पेट्रोलियम उद्योग का कहना है कि पिछले 10 दिन के दौरान मांग बढ़ने के संकेत हैं.
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सरकार ने नगर निगम सीमाओं के बाहर स्थित उद्योगों में कारोबारी गतिविधियां शुरू करने की अनुमति दी, जिसके बाद अप्रैल के अंत में ईंधन मांग बढ़ने के संकेत हैं. हालांकि, मई से इसमें और वृद्धि होने की संभावना है. सरकार ने लॉकडाउन के चार मई से होने वाले तीसरे चरण में कुछ और गतिविधियों को शुरू करने की छूट दी है.
उद्योग जगत के अस्थायी आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल के पहले पखवाड़े में पेट्रोल की बिक्री 64 फीसदी कम रही, जबकि दूसरे पखवाड़े में यह गिरावट 61 फीसदी रह गयी. इसी प्रकार, पहले पखवाड़े में डीजल की बिक्री 61 फीसदी घटी, जो दूसरे पखवाड़े में इसमें कुछ 56.5 फीसदी की गिरावट ही रह गयी. वहीं, विमान ईंधन (एटीएफ) की खपत इस दौरान 91.5 फीसदी तक घट गयी. वृद्धि दर्ज करने वाला एकमात्र ईंधन एलपीजी रहा है.
सरकार ने गरीब परिवारों को तीन माह के लिए घरेलू गैस सिलेंडर निशुल्क उपलब्ध कराने की घोषणा की है. यही वजह है कि अप्रैल माल में एलपीजी खपत 12 फीसदी बढ़कर 21.10 लाख टन तक पहुंच गयी. कुल मिलाकर अप्रैल के दौरान पेट्रोलियम उत्पादों की बिक्री में करीब 70 फीसदी तक गिरावट दर्ज की गयी है. ये आंकड़े सार्वजनिक क्षेत्र की तीन कंपनियों के बिक्री आंकड़ों पर आधारित हैं. पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने फेसबुक पर बातचीत के दौरान कहा कि दुनियाभर कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लगाये गये लॉकडाउन की वजह से पेट्रोलियम पदार्थों की अचानक घट गयी.
उन्होंने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र में यह बहुत ही अप्रत्याशित स्थिति रही है. इससे पहले ऐसी स्थिति कभी नहीं देखी गयी. भारत में पेट्रोल, डीजल और एटीएफ की मांग तेजी से नीचे आयी है. कुल मांग में करीब 70 फीसदी तक गिरावट रही है. हालांकि, उन्होंने उम्मीद जताई कि आर्थिक गतिविधियां शुरू होने के बाद मांग में कुछ वृद्धि के संकेत हैं.
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