नयी दिल्ली : पेट्रोल और डीजल की मांग में महीने के दूसरे पखवाड़े में तेजी आने की उम्मीद है. सरकार ने 20 अप्रैल के बाद ट्रकों को चलाने और ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों और उद्योगों को कामकाज की अनुमति दे दी है. कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिए जारी ‘लॉकडाउन’ (बंद) के कारण पेट्रोल और डीजल की मांग में काफी गिरावट आयी है. देशव्यापी बंद के कारण कारखानों में कामकाज ठप होने, सड़क एवं रेल परिवहन बंद होने तथा उड़ानें निलंबित होने के कारण पेट्रोल और डीजल की बिक्री 66 फीसदी से अधिक कम हुई है, जबकि विमान ईंधन की खपत में 90 फीसदी की बड़ी गिरावट आयी है.
उद्योग से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि सरकार ने राज्यों के बीच एवं राज्यों के भीतर सड़कों एवं रेल से माल ढुलाई की अनुमति दे दी है. साथ ही, खेती-बाड़ी के साथ नगर निगम की सीमा से बाहर उद्योगों को काम करने की अनुमति 20 अप्रैल से दे दी है. इन सभी से ईंधन की खपत बढ़ेगी. ट्रक डीजल के बड़े यूजर्स में शामिल हैं. इसके अलावा, फसलों की कटाई तथ खेती संबंधी अन्य कार्यों में डीजल का उपयोग होता है. कुछ मालगाड़ियां भी डीजल से चलती हैं. इन सभी गतिविधियों से माह में 20 अप्रैल से डीजल की मांग बढ़ेगी. इसके अलावा, ई-कॉमर्स परिचालकों को वाहन चलाने की अनुमति दी गयी हैं. ये वाहन ज्यादातर पेट्रोल का उपयोग करते हैं.
Also Read: कोरोना का कहर : 15 दिनों में डीजल की बिक्री 20 प्रतिशत घटी, ऑटोमोबाइल और जूलरी उद्योग पर भी असरअधिकारी ने कहा कि विमान ईंधन को लेकर कोई उम्मीद नहीं है, लेकिन अगर सरकार 20 अप्रैल से सभी उद्योगों और गतिविधियों को मंजूरी देती है, पेट्रोल और डीजल की मांग निश्चित रूप से बढ़ेगी. सरकार ने अब तक घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शुरू करने की अनुमति नहीं दी है. उसने कहा कि इसके अलावा, सड़क निर्माण और औद्योगिक संकुलों में परियोजनाओं पर काम शुरू करने की अनुमति दी गयी है. इससे भी ईंधन की खपत बढ़ेगी.
दुनिया के सबसे बड़े बंदी से धीरे-धीरे बाहर निकलने तथा अटकी पड़ी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार ने बुधवार को सूचना प्रौद्योगिकी हार्डवेयर बनाने वाली कंपनियों, किसानों तथा उद्योगों को ग्रामीण क्षेत्रों में 20 अप्रैल के बाद कामकाज शुरू करने की अनुमति दे दी है. इससे एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए बंद की अवधि तीन मई तक के लिए बढ़ा दी थी. इससे पहले, 25 मार्च से 21 दिन के बंद की घोषणा की गयी थी.
सरकार 20 अप्रैल से ई-वाणिज्य कंपनियों, सड़कों, बंदरगाहों तथा हवाई जहाजों के जरिये माल की ढुलाई पर लगी पाबंदी हटा लेगी. इसके अलावा, नगर निगम सीमा से बाहर स्थिति खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, खनन, पैकेजिंग सामग्री, तेल एवं गैस खोज एवं रिफाइनरियों को काम करने की अनुमति होगी. सड़क निर्माण, सिंचाई परियोजनाओं, निर्माण कार्य तथा सेज (विशेष आर्थिक क्षेत्र) तथा निर्यात उन्मुख इकाइयों में परियोजनाओं पर काम करने की छूट होगी.
देशव्यापी बंद के कारण मांग लगभग मंद पड़ने से ईंधन की बिक्री मार्च में एक दशक से भी अधिक समय के न्यूनतम स्तर पर आ गयी. देश में पेट्रोलियम उत्पादों की खपत इस साल मार्च में 17.79 फीसदी घटकर 1.608 करोड़ टन रही. बंद के दौरान डीजल की मांग 24.23 फीसदी घटकर 56.5 लाख टन रही. इसी प्रकार, पेट्रोल की बिक्री 16.37 फीसदी घटकर मार्च में 21.5 लाख टन पर आ गयी. वहीं, विमान ईंधन की मांग 32.4 फीसदी घटकर 4,84,000 टन पर पहुंच गयी. एकमात्र रसोई गैस ईंधन एलपीजी की मांग इस दौरान बढ़ी. एलपीजी की बिक्री मार्च में 1.9 फीसदी बढ़कर 23 लाख टन रही.
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