क्रूड के दाम गिरने से भारत में सस्ता नहीं होगा पेट्रोल, डीजल
अमेरिका के कच्चे तेल बाजार में आये ‘जलजले' से भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बड़ी कटौती नहीं होगी. वजह यह है कि भारत में ईंधन के घरेलू दाम अलग ‘बेंचमार्क' से तय होते हैं.
नयी दिल्ली : अमेरिका के कच्चे तेल बाजार में आये ‘जलजले’ से भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बड़ी कटौती नहीं होगी. वजह यह है कि भारत में ईंधन के घरेलू दाम अलग ‘बेंचमार्क’ से तय होते हैं. रिफाइनरियों के पास पहले से कच्चे तेल का पर्याप्त भंडार है. वे अभी अमेरिकी कच्चे तेल की खरीद नहीं कर रही हैं. अमेरिकी बाजार में मची उथलपुथल के बीच कच्चे तेल के दाम इस कदर गिरे की तेल खरीदार उसे उठाने को तैयार नहीं हैं. बेचने वाले को फिलहाल उसे अपने भंडागृह में रखने को कह रहे हैं. हो सकता है इसके लिए उन्हें भुगतान भी करना पड़े. क्रूड ऑयल का उत्पादन और इसकी उपलब्धता जरूरत से ज्यादा होने के बीच कोरोना की वजह से मांग घटने के चलते कारोबारी अपने अवांछित स्टॉक को जल्द से जल्द निकालना चाह रहे हैं.
इससे मई डिलिवरी के अमेरिकी वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट कच्चे तेल के दाम ‘ढह’ गये. इंडियन आयल कॉरपोरेशन के चेयरमैन संजीव सिंह ने कहा कि कारोबारी पहले से बुक किये गये आर्डर की डिलिवरी नहीं ले पा रहे हैं, क्योंकि मांग नहीं है. इससे अमेरिका में कच्चे तेल के दाम नीचे आये हैं. वे तेल को विक्रेता द्वारा उसके भंडार में रखने के लिए उल्टा उसे भुगतान कर रहे हैं. यदि आप जून के वायदा को देखें तो यह सकारात्मक रुख में करीब 20 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है. कच्चे तेल के निचले दाम लघु अवधि के लिए तो अच्छे हैं, पर दीर्घावधि में यह तेल आधारित अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित करेंगे, क्योंकि उत्पादकों के पास खोज और उत्पादन के लिए निवेश करने को अधिशेष नहीं होगा.
इससे अंतत: उत्पादन घटेगा. हालांकि, उन्होंने ईंधन के खुदरा दामों पर कोई टिप्पणी नहीं की, जो 16 मार्च से स्थिर हैं. कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बावजूद पेट्रोलियम कंपनियों ने ईंधन दामों में कटौती नहीं की है. पहले उन्होंने इसे तीन रुपये प्रति लीटर की एक्साइज ड्यूटी बढ़ोतरी और एक अप्रैल से बेचे जा रहे स्वच्छ भारत चरण-छह ईंधन पर लागत में करीब एक रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी के साथ समायोजित किया. इंडियन आयल कॉरपोरेशन ने कहा कि अमेरिका में वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआइ) तेल भारी गिरावट के साथ शून्य से नीचे 37.63 डॉलर प्रति बैरल पर बोला गया.
वजह अंतिम तारीख से एक दिन पहले 20 मई के आपूर्ति अनुबंध की घबराहटपूर्ण बिकवाली है. यदि वे ऐसा नहीं करते तो कोविड-19 की वजह से मांग में आयी भारी गिरावट के बीच उन्हें डिलिवरी लेनी होती. भंडारण की परेशानी है. 20 जून का डब्ल्यूटीआई वायदा और 20 मई का आईसीई ब्रेंट अब भी 16 डॉलर प्रति बैरल और 21 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहे हैं. एक्सपर्ट व्यू नकारात्मक कीमतों का भारत या भारत में ईंधन कीमतों पर कोई सीधा असर नहीं पड़ेगा. भारत में दाम अलग बेंचमार्क से निर्धारित होते हैं जो इस समय 25 डॉलर प्रति बैरल है. ऐसे में भारत में ईंधन की खुदरा कीमतों में कमी नहीं आयेगी.
भारत में रिफाइनरियों के पास पहले से ही जरूरत से अधिक भंडार है. लॉकडाउन से ईंधन की मांग में भारी गिरावट आयी है. ऐसे में वे अमेरिकी कच्चे तेल की खरीद नहीं कर सकतीं. रिफाइनरियों ने पहले ही अपना परिचालन आधा कर दिया है क्योंकि वे पहले उत्पादित ईंधन को ही नहीं बेच पायी हैं. अमित भंडारी, फेलो, गेटवे हाउस, एनर्जी एंड एन्वायर्नेंट स्टडीजन्यूमेरिक40 लाख बैरल प्रतिदिन (1.4 अरब बैरल सालाना) का आयात करता है भारत कच्चे तेल पांच साल में क्रूड के दाम 110 डॉलर प्रति बैरल से पिछले साल 50-60 डॉलर पर आ गये
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