Petrol Diesel Price Hike, Government Revenue: तेल के खेल में जहां जनता की जेबें खाली हो रही हैं, वहीं सरकार के खजाने भरते जा रहे हैं. बीते कुछ दिनों से देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें आसमान छू रही हैं. हर दिन तेल के बाव में इजाफा हो रहा है. बीते ढ़ाई महीनों में 40 से ज्यादा बार तेल के दाम बढ़ें हैं. और सबसे बड़ी बात कि आने वाले दिनों में भी इसकी कीमत में कमी आएगी इसकी कोई गारंटी नहीं है.
पेट्रोल-डीजल से पिछले वित्त वर्ष में केंद्र को आये 3.35 लाख करोड़: केंद्र सरकार ने सोमवार को कहा कि पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में पेट्रोल-डीजल पर लगाये गये उत्पाद शुल्क के जरिये राजस्व का संग्रह 88 प्रतिशत बढ़ कर 3.35 लाख करोड़ रुपये हो गया. पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री रामेश्वर तेली ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में पेट्रोल एवं डीजल पर उत्पाद शुल्क का संग्रह बढ़कर 3.35 लाख करोड़ रुपये हो गया जो इससे एक साल पहले 1.78 लाख करोड़ रुपये था.
लॉकडाउन का रहा असर: यह संग्रह और भी बढ़ा होता, लेकिन लॉकडाउन और दूसरे प्रतिबंधों के कारण ईंधन की बिक्री में कमी आयी. केंद्रीय मंत्री के अनुसार 2018-19 में पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क के जरिये 2.13 लाख करोड़ रुपये के राजस्व का संग्रह हुआ था.
पेट्रोल पर ~32.9 उत्पाद शुल्क: केंद्र सरकार ने पिछले वित्त वर्ष में पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में करीब दोगुनी वृद्धि की है. पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 32.9 रुपये और डीजल पर उत्पाद शुल्क 31.8 रुपये है.
गौरतलब है कि, हर दिन तेल के दाम में इजाफा हो रहा है और आने वाले समय में इसके दामों में कमी आएगी इसकी भी कोई गारंटी नहीं हैं. देश के कई शहरों में पेट्रोल 100 और 110 रुपये को पार कर गया है. तेल की कीमतों ने महंगाई भी बढ़ा दी है, जिससे आमोखास सभी तबके के लोग परेशान हैं. लेकिन सरकार को शायद इससे कोई मतलब नहीं है, तभी को जनता का तेल निकले तो निकले, लेकिन सरकार की मोटी कमाई में कोई असर नहीं होनी चाहिए.
Posted by: pritish Sahay
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