PIBFactCheck : साफ-सुथरे नोटों पर कुछ लिखने से हो जाते हैं अमान्य? जानें क्या है असली सच्चाई

1999 के बाद से जब आरबीआई गवर्नर ने स्वच्छ नोट नीति की घोषणा की, करेंसी नोटों और सिक्कों की आपूर्ति बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए गए. जनता से करेंसी नोटों पर नहीं लिखने का आग्रह किया गया और बैंकों को निर्देश दिया गया कि वे गंदे और कटे-फटे नोटों के आदान-प्रदान के लिए अप्रतिबंधित सुविधा प्रदान करें.

By KumarVishwat Sen | January 20, 2023 7:50 PM

PIBFactCheck/RBI Clean Note Policy News : क्या आपको बाजार में खरीदारी करते समय कोई ऐसा नोट मिला है, जिस पर कुछ लिखा हो? कई बार दुकानदार जब ग्राहकों को कुछ लिखा हुआ नोट देते हैं, तो ग्राहक उसे लेने से मना कर देते हैं या फिर दुकानदार ही गंदे या लिखे हुए नोटों को लेने से इनकार कर देते हैं. ऐसे में सवाल पैदा होता है कि क्या नोटों पर कुछ लिखने से वे अमान्य हो जाते हैं? इसका जवाब यही है कि कुछ लिखने से बैंक करेंसी नोट अमान्य नहीं हो जाते, बल्कि ऐसा करने से उनकी उम्र कम हो जाती है. हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) देश के नागरिकों से यह उम्मीद करता है कि वे करेंसी नोटों पर कुछ भी लिखने से परहेज करें, क्योंकि ऐसा करने से वे खराब होने के साथ ही उनकी अवधि भी कम हो जाती है. इसलि अगर आपको 200 रुपये, 500 रुपये, 2000 रुपये, 10, 20, 50 या 100 रुपये के लिखे हुए नोट मिलते हैं, तो उससे डरने की कतई जरूरत नहीं है.

क्या कहता है पीआईबी फैक्टचेक

किसी भी मामले की सत्यता की जांच करने वाला सरकारी संस्था पीआईबी फैक्ट चेक ने सोशल मीडिया पर नोटों को लेकर प्रसारित किए जाने वाले एक फर्जी दावे का जवाब दिया है. सोशल मीडिया के मैसेज में यह दावा किया गया था कि आरबीआई की नई गाइडलाइन्स के अनुसार नए नोटों पर कुछ भी लिखा होने से वे अमान्य हो जाते हैं. ऐसा करने पर लिखा हुआ नोट लीगल टेंडर नहीं रह जाएगा. सोशल मीडिया पर इस दावे को पीआईबी फैक्ट चेक ने फर्जी बताते हुए ट्वीट किया, ‘नहीं, लिखे हुए नोट अमान्य नहीं हैं और कानूनी मुद्रा बने रहेंगे.’


क्या कहता है आरबीआई

आरबीआई की ओर से नवंबर 2001 से स्वच्छ नोट नीति को लागू करने के मामले में तेजी लाई गई थी. रिजर्व बैंक की स्वच्छ नोट नीति का उद्देश्य नागरिकों को अच्छी गुणवत्ता वाले करेंसी नोट और सिक्के देना है, जबकि गंदे नोट खुद ही चलन से बाहर हो जाते हैं. रिजर्व बैंक ने बैंकों को यह भी निर्देश दिया है कि वे जनता को केवल अच्छी गुणवत्ता वाले स्वच्छ नोट जारी करें और उनके द्वारा प्राप्त गंदे नोटों को अपने काउंटरों पर रिसाइकिल करने से बचें.

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काउंटर पर नोट बदल सकते हैं बैंक

1999 के बाद से जब आरबीआई गवर्नर ने स्वच्छ नोट नीति की घोषणा की, करेंसी नोटों और सिक्कों की आपूर्ति बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए गए. जनता से करेंसी नोटों पर नहीं लिखने का आग्रह किया गया और बैंकों को निर्देश दिया गया कि वे गंदे और कटे-फटे नोटों के आदान-प्रदान के लिए अप्रतिबंधित सुविधा प्रदान करें. आरबीआई के निर्देशों के अनुसार, बैंकों की करेंसी चेस्ट शाखाओं को गंदे और कटे-फटे नोटों के बदले में गैर-ग्राहकों को भी अच्छी गुणवत्ता वाले नोट और सिक्के देने चाहिए.

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