Price Hike: गेहूं, चावल और चीनी का नहीं बढ़ेगा भाव, केंद्रीय मंत्री ने बताया सरकार के प्लान, आप भी जानें

Price Hike: केंद्र सरकार आने वाले लोकसभा चुनाव से पहले खाद्य वस्तुओं की महंगाई को नियंत्रित करने के लिए अपने स्तर पर हर कोशिश कर रही है. लोकल मार्केट में खाद्य साम्रगी की उपलब्धता के लिए सरकार ने निर्यात पर रोक या शुल्क लगाया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 14, 2024 8:43 AM

Price Hike: पूरी दुनिया महंगाई की मार झेल रही है. ऐसे में केंद्र सरकार के साथ शीर्ष बैंक भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की भी कड़ी नजर बाजार पर है. आरबीआई ने पिछले साल फरवरी से ब्याज दरों को स्थिर रखा है. इसके साथ ही, खाद्य की महंगाई को कंट्रोल करने के लिए सरकार ने गेहूं, चावल और चीनी के साथ दालों के निर्यात पर भी रोक लगा दी है. अब वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने साफ कर दिया है कि सरकार के सामने फिलहाल गेहूं, चावल और चीनी के निर्यात पर लगी पाबंदियां हटाने का कोई भी प्रस्ताव नहीं है. उन्होंने कहा कि भारत का गेहूं और चीनी के आयात का भी कोई इरादा नहीं है. इसके साथ ही भारत गेहूं और चीनी का आयात नहीं करेगा. समझा जा रहा है कि केंद्र सरकार आने वाले लोकसभा चुनाव से पहले खाद्य वस्तुओं की महंगाई को नियंत्रित करने के लिए अपने स्तर पर हर कोशिश कर रही है. लोकल मार्केट में खाद्य साम्रगी की उपलब्धता के लिए सरकार ने निर्यात पर रोक या शुल्क लगाया है. निर्यात पर रोक से किसान नाराज न हो और लोकल बाजार में अच्छी कीमत मिले इसलिए सरकार के द्वारा आयात को भी नियंत्रित किया गया है.

Also Read: Pulses Price Hike: थाली से दूर नहीं होगी दाल, मोदी सरकार ने किया ऐसा इंतजाम, जानकर झूम उठेंगे आप

मई 2022 में गेंहू निर्यात पर लगा था प्रतिबंध

भारत ने घरेलू स्तर पर बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के लिए मई, 2022 में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसके बाद जुलाई, 2023 से गैर-बासमती चावल के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा हुआ है. सरकार ने अक्टूबर, 2023 में चीनी के निर्यात पर भी रोक लगाने का आदेश जारी कर दिया था. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने यह भी कहा कि गेहूं और चीनी के आयात की न तो कोई योजना है और न ही इसकी कोई जरूरत है. उन्होंने कहा कि भारत गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद अपने मित्र देशों को उनकी खाद्य सुरक्षा जरूरतों के लिए चावल उपलब्ध करा रहा है. उन्होंने बताया कि भारत ने इंडोनेशिया, सेनेगल और गाम्बिया जैसे देशों को चावल उपलब्ध कराया है.

रबी सत्र में मसूर की दाल के रिकॉर्ड उत्पादन की उम्मीदः सचिव

मौजूदा रबी सत्र में खेती का रकबा बढ़ने से मसूर की दाल का उत्पादन 16 लाख टन के साथ अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंचने की उम्मीद है. उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने यहां एक कार्यक्रम में यह अनुमान जताते हुए कहा कि इस साल मसूर दाल की पैदावार सबसे ज्यादा होने वाली है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2022-23 रबी सत्र में मसूर का उत्पादन 15.5 लाख टन था. ‘ग्लोबल पल्स कन्फेडरेशन’ (जीपीसी) के कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि इस साल मसूर का उत्पादन अब तक के उच्चतम स्तर पर होने वाला है. हमारा मसूर उत्पादन दुनिया में सबसे ज्यादा होगा. इसका रकबा बढ़ गया है. दुनिया में दालों का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता होने के बावजूद, भारत घरेलू स्तर पर इसकी कमी को पूरा करने के लिए मसूर और तुअर सहित कुछ दालों का आयात करता है. चालू रबी सत्र में बढ़े हुए इलाके में मसूर की खेती की गई है. कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, चालू रबी सत्र में 12 जनवरी तक मसूर का कुल रकबा बढ़कर 19.4 लाख हेक्टेयर हो गया है, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 18.3 लाख हेक्टेयर था.

(भाषा इनपुट के साथ)

Next Article

Exit mobile version