तुर्की द्वारा गुणवत्ता की चिंताओं की वजह से भारतीय गेहूं की खेप को नहीं लेने के मामले में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) ने कहा कि तुर्की ने ऐसा क्यों किया, उसके पीछे के मकसद के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है. लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि भारत का गेहूं अच्छी गुणवत्ता का है और आईटीसी अच्छा गेहूं खरीदता है. उन्होंने कहा कि नीदरलैंड ने यह खेप खरीदी थी. आईटीसी को इस बात की कोई जानकारी नहीं थी कि यह तुर्की के लिए है.
Delhi | A country (Turkey) rejected our wheat consignment & sent it back. We have initiated a probe but after the preliminary investigation, we received information that this export was of ITC Ltd: Union Commerce and Industry Minister Piyush Goyal pic.twitter.com/JNM5VUrQVI
— ANI (@ANI) June 3, 2022
तुर्की ने हाल में ही भारतीय गेहूं की खेप को वापस कर दिया. तुर्की के अधिकारियों ने कहा था कि भारतीय गेहूं में रुबेला वायरस पाया गया है. हालांकि मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक तुर्की ने ऐसा राजनैतिक कारणों से किया है. बता दें कि भारतीय कंपनी आईटीसी ने इस गेहूं की खेप को नीदरलैंड की एक कंपनी को बेचा था, जिसने आगे इसे तुर्की की कंपनी को बेच दिया.
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गेहूं निर्यात के मामले में खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने कहा कि सरकार ने इस मसले पर तुर्की के अधिकारियों से विवरण मांगा है. उन्होंने कहा कि संबंधित निर्यातक आईटीसी लिमिटेड ने दावा किया है कि 60,000 टन की निर्यात खेप को सभी जरूरी मंजूरियां प्राप्त थीं. सचिव ने कहा कि इस बीच भारत द्वारा 13 मई को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद पांच-छह देशों ने भारतीय गेहूं मंगाने का अनुरोध किया है और सरकार ने ऐसे देशों को अनाज के निर्यात के संबंध में मंजूरी देने के लिए एक समिति बनाई है.
सचिव ने आगे कहा कि कृषि विभाग और कृषि-निर्यात संवर्धन निकाय एपीडा इस मुद्दे पर तुर्की के क्वारन्टाइन (अनाज को कीटमुक्त रखने की प्रक्रिया) अधिकारियों के संपर्क में है. उन्होंने कहा, उन्होंने उनसे कुछ नहीं सुना है. अभी तक कोई औपचारिक संवाद नहीं हुआ है. घरेलू उत्पादन में मामूली अनुमानित गिरावट के बीच स्थानीय कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए भारत ने 13 मई को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. हालांकि, इसने उन खेपों के निर्यात की अनुमति दी है, जो प्रतिबंध लागू होने से पहले पंजीकृत थे.
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