चीन के राष्ट्रपति की तुलना में कहीं अधिक दूरदर्शी राजनेता दिखते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी : जिम ओ’ नील
जी20 शिखर सम्मेलन में जारी घोषणापत्र यह पुष्टि करता है कि जी20 वैश्विक समस्याओं का वास्तविक समाधान पेश करने का एकमात्र निकाय है. ब्रिटेन के अर्थशास्त्री जिम ओ’ नील ने कहा अफ्रीकी संघ को शामिल करना मोदी की एक कूटनीतिक जीत है.
ब्राजील, रूस, भारत और चीन के समूह को ‘ब्रिक’ (दक्षिण अफ्रीका के शामिल होने के बाद ‘ब्रिक्स’) नाम देनेवाले ब्रिटेन के अर्थशास्त्री जिम ओ’ नील ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब चीनी राष्ट्रपति शी जिनफिंग की तुलना में अधिक दूरदर्शी राजनेता की तरह दिखते हैं. नयी दिल्ली में हुए जी20 शिखर सम्मेलन में जारी घोषणापत्र में इस बात की और पुष्टि की गयी है कि जी20 वैश्विक समस्याओं का वास्तविक समाधान पेश करने के मामले में एकमात्र निकाय है. जिम ओ’ नील ने प्रोजेक्ट सिंडिकेट पर एक लेख में कहा कि न तो ब्रिक्स और न ही जी7 के पास जलवायु परिवर्तन से लेकर यूक्रेन युद्ध और आर्थिक स्थिरता जैसी चुनौतियों से निपटने की क्षमता है.
शी की अनुपस्थिति ने गहराया दोनों देशों के बीच विभाजन
भारत-चीन एकजुटता की कमी नये ब्रिक्स के लिए एक बड़ी बाधा होगी, जिसमें हाल ही में छह नये सदस्यों को शामिल किया गया है. उन्होंने कहा कि जी20 शिखर सम्मेलन में शी की अनुपस्थिति ने दोनों देशों के बीच विभाजन को गहरा कर दिया है. कई लोगों को लगता है शी ने भारत और प्रधानमंत्री मोदी को अपमानित करने के लिए शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लिया.
मोदी तक शी जिनपिंग को पहुंचने की जरूरत होगी
ब्रिटिश अर्थशास्त्री ने कहा कि चाहे जो भी मकसद हो, उनके फैसले से यह असर हुआ कि हालिया ब्रिक्स बैठक के महत्व को कम करके देखा जा रहा है, जिसे कई लोगों ने चीन की जीत के रूप में देखा था. उन्होंने कहा, अगर शी हमें मनाना चाहते हैं, तो उन्हें मोदी तक पहुंचने की आवश्यकता होगी. जी20 शिखर सम्मेलन की सफलता सम्मेलनों के इस दौर में मोदी को स्पष्ट विजेता बनाती है. धारणाएं मायने रखती हैं, और इस समय वह शी से अधिक दूरदर्शी राजनेता दिखते हैं.
पीएम मोदी की छवि ग्लोबल साउथ के चैंपियन के रूप में बनी
जिम ओ’नील ने कहा कि 9-10 सितंबर को नयी दिल्ली में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन ने अफ्रीकी संघ को शामिल करने के लिए अपने रैंकों का विस्तार करने पर सहमति व्यक्त करके एक और सूक्ष्म लेकिन महत्वपूर्ण कदम हासिल किया. यह सफलता मोदी को एक स्पष्ट कूटनीतिक जीत देती है, जिससे उनकी छवि ग्लोबल साउथ के चैंपियन के रूप में बनती है. हमें भारत और अमेरिका की सराहना करनी चाहिए जिन्होंने घोषणापत्र को आगे बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाई.
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