नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को लोकसभा से कृषि कानूनों को लेकर विपक्ष पर जमकर निशाना साधा है. उन्होंने विपक्ष को निशाने पर लेते हुए भोजपुरी की एक कहावत का उल्लेख करते हुए कहा कि ‘न खेलब, न खेले देम…खेले बिगाड़ब’. लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण का जवाब देते हुए पीएम मोदी ने यह सवाल भी किया कि शरद पवार ने संसद में कृषि सुधारों की वकालत की थी. फिर सिर्फ राजनीति के लिए कृषि कानूनों का विरोध क्यों?
उन्होंने कहा कि कृषि के अंदर जितना निवेश बढ़ेगा, उतना ही रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे. हमने कोरोना काल में किसान रेल का प्रयोग किया है. यह ट्रेन चलता-फिरता एक कोल्ड स्टोरेज है. उन्होंने कहा कि हमारा किसान आत्मनिर्भर बने, उसे अपनी उपज बेचने की आजादी मिले. उस दिशा में काम करने की आवश्यकता है. हमारे यहां एग्रीकल्चर समाज के कल्चर का हिस्सा रहा है. हमारे पर्व, त्योहार सब चीजें फसल बोने और काटने के साथ जुड़ी रही हैं.
पीएम मोदी ने कहा कि कानून बनने के बाद किसी भी किसान से मैं पूछना चाहता हूं कि पहले जो हक और व्यवस्थाएं उनके पास थीं, उनमें से कुछ भी इस नए कानून ने छीन लिया है क्या? इसका जवाब कोई देता नहीं है, क्योंकि सबकुछ वैसा का वैसा ही है. उन्होंने यह भी कहा कि सरदार पटेल कहते थे कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी यदि परतंत्रता की दुर्गंध आती रहे, तो स्वतंत्रता की सुगंध नहीं फैल सकती. जब तक हमारे छोटे किसानों को नए अधिकार नहीं मिलते, तब तक पूर्ण आजादी की उनकी बात अधूरी रहेगी.
पीएम मोदी ने कहा कि कानून लागू होने के बाद न देश में कोई मंडी बंद हुई, न एमएसपी बंद हुआ. ये सच्चाई है. इतना ही नहीं, ये कानून बनने के बाद एमएसपी की खरीद भी बढ़ी है. हम मानते हैं कि इसमें सही में कोई कमी हो, किसानों का कोई नुकसान हो, तो बदलाव करने में क्या जाता है. ये देश देशवासियों का है. हम किसानों के लिए निर्णय करते हैं, अगर कोई ऐसी बात बताते हैं जो उचित हो, तो हमें कोई संकोच नहीं है.
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Posted By : Vishwat Sen
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