PO Schemes : बैंक FD अधिक रिटर्न दे रहीं डाकघर की बचत योजनाएं, जानें कितना होगा फायदा
रिजर्व बैंक ने मई, 2022 में रेपो दर में वृद्धि का सिलसिला शुरू किया था और तब से यह चार फीसदी से बढ़कर 6.50 प्रतिशत हो चुकी है. इसका असर यह हुआ कि पिछले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में बैंकों ने अधिक वित्त जुटाने के लिए खुदरा जमाओं पर ज्यादा ब्याज देना शुरू कर दिया.
Post Office Saving Schemes : अगर आप हाई रिटर्न पाने के लिए किसी बचत योजना में निवेश करने का मन बना रहे हैं, तो डाकघर की बचत योजनाओं पर मिलने वाला रिटर्न भी बैंक के फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) को टक्कर दे रही हैं. आम तौर पर डाकघर में निवेश करना बेहद सुरक्षित माना जाता है, लेकिन पिछले कुछ सालों के दौरान छोटी बचत योजनाओं में पर मिलने वाली ब्याज दर में कटौती करने की वजह से निवेश के बाद मिलने वाले रिटर्न में भी कमी आई गई थी, लेकिन सरकार की ओर से छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दर में बढ़ोतरी किए जाने के बाद डाकघर की बचत योजनाओं से भी अच्छा रिटर्न मिलने लगा है. आइए, जानते हैं पूरी बात…
फिक्स्ड डिपॉजिट पर कितना ब्याज
एक रिपोर्ट के अनुसार, छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में लगातार तीन बार बढ़ोतरी होने से डाकघर की सावधि जमा एक बार फिर बैंक एफडी (फिक्स्ड डिपॉजिट) के मुकाबले में खड़ी हो गई हैं. लघु बचत योजनाओं के तहत डाकघर में दो साल की सावधि जमा पर 6.9 फीसदी ब्याज मिल रहा है, जो अधिकांश बैंकों की तरफ से समान परिपक्वता अवधि वाली जमाओं पर दी जाने वाली दर के बराबर है.
कैसे हुआ कमाल
रिजर्व बैंक ने मई, 2022 में रेपो दर में वृद्धि का सिलसिला शुरू किया था और तब से यह चार फीसदी से बढ़कर 6.50 प्रतिशत हो चुकी है. इसका असर यह हुआ कि पिछले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में बैंकों ने अधिक वित्त जुटाने के लिए खुदरा जमाओं पर ज्यादा ब्याज देना शुरू कर दिया. इसका नतीजा यह हुआ कि मई, 2022 से फरवरी, 2023 के दौरान बैंकों की नई जमाओं पर भारित औसत घरेलू सावधि जमा दर (डब्ल्यूएडीटीडीआर) 2.22 फीसदी तक बढ़ गई. वहीं, वित्त वर्ष 2022-23 की पहली छमाही में बैंकों का जोर थोक जमाओं पर अधिक था, लेकिन दूसरी छमाही में उनकी प्राथमिकता बदली और खुदरा जमा जुटाने पर उन्होंने अधिक ध्यान दिया. ब्याज दरों में बढ़ोतरी करना इसी का हिस्सा रहा.
सरकार ने बढ़ाई ब्याज दर
सरकार ने लघु बचत योजनाओं (एसएसआई) के लिए ब्याज दरें अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के लिए 0.1-0.3 फीसदी, जनवरी-मार्च तिमाही के लिए 0.2-1.1 फीसदी और अप्रैल-जून 2023 तिमाही के लिए 0.1-0.7 फीसदी तक बढ़ोतरी की. इससे पहले, लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरें लगातार नौ तिमाहियों से अपरिवर्तित बनी हुई थीं. वित्त वर्ष 2020-21 की दूसरी तिमाही से 2022-23 की दूसरी तिमाही तक इनमें कोई बढ़ोतरी नहीं की गई थी.
कौन करता है फैसला
लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरों का निर्णय सरकार करती है. इनका निर्धारण तुलनीय परिपक्वता वाली सरकारी प्रतिभूतियों पर मिलने वाले प्रतिफल से जुड़ा होता है. वहीं, रिजर्व बैंक ने कहा कि बैंकों की सावधि जमा दरें अब डाकघर सावधि जमा दरों की तुलना में प्रतिस्पर्धी रूप से निर्धारित हैं. रिजर्व बैंक के मुताबिक, एक से दो साल की परिपक्वता वाली बैंक खुदरा जमा पर डब्ल्यूएडीटीडीआर फरवरी, 2023 में 6.9 फीसदी हो गया, जबकि सितंबर, 2022 में यह 5.8 फीसदी और मार्च, 2022 में 5.2 फीसदी था.
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कितना मिल रहा रिटर्न
लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दर लगातार तीन बार बढ़ने के बाद द्विवर्षीय डाकघर सावधि जमा पर अब 6.9 फीसदी का रिटर्न मिल रहा है. यह दर सितंबर, 2022 में 5.5 फीसदी थी. वहीं, देश का सबसे बड़ा बैंक एसबीआई एक साल से अधिक और दो साल से कम की जमा पर 6.8 फीसदी ब्याज दे रहा है. वहीं, दो साल से अधिक और तीन साल से कम की जमा पर एसबीआई की ब्याज दर सात फीसदी है.
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