PPF Vs MF News Updates : अगर आप लॉन्ग टर्म के किसी प्लान में निवेश करके भविष्य के लिए मोटी रकम जुटाना चाहते हैं, तो आप पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF) और म्यूचुअल फंड में से किसी एक विकल्प का चयन कर सकते हैं, क्योंकि ये दोनों लंबी अवधि के निवेश के लिए बेहद लोकप्रिय हैं. इससे फायदा यह होगा कि एक तो आपके रिटायरमेंट की प्लानिंग हो जाएगी और दूसरा इससे आपके बच्चों का भविष्य भी बेहतर हो सकता है. हालांकि, लंबी अवधि के लिए निवेश का फैसला करने के पहले यह जरूर परख लेना चाहिए कि कहां भविष्य में कितना फायदा हो सकता है. इसमें निवेशक को अपने रिस्क लेने की क्षमता और समय का भी ध्यान रखना जरूरी है. अगर आपको एक तय समय बाद 1 करोड़ रुपये का फंड जुटाने का लक्ष्य है, तो आपके लिए पीपीएफ और म्यूचुअल फंड में से कोई भी बेहतर विकल्प हो सकता है.
पीपीएफ में निवेश के फायदे
जो निवेशक बिना जोखिम के अपने पैसों को सुरक्षित जगह पर निवेश करना चाहते हैं, उनके लिए पीपीएफ बेहतर विकल्प है. सरकारी स्कीम होने के कारण यहां आपके पैसों को सुरक्षा मिलती है, लेकिन यहां रिटर्न पहले से तय होता है. तय ब्याज से ज्यादा रिटर्न आपको योजना की मेच्योरिटी तक नहीं मिलेगा. फिलहाल, पीपीएफ पर सालाना ब्याज 7.1 फीसदी है. अगर आगे यह दरें जारी रहती हैं, तो इसी दर के आधार पर आपका पैसा बढ़ेगा.
म्यूचुअल फंड
वहीं, जो निवेशक जरा बाजार के जोखिमों के साथ खेलना जानते हैं, उनके लिए म्यूचुअल फंड यानी एमएफ के विकल्प का चयन करना ज्यादा बेहतर हो सकता है. इक्विटी म्यूचुअल फंड का रिटर्न बाजार से लिंक्ड होता है. इसलिए यहां जोखित पीपीएफ की तुलना में ज्यादा है, लेकिन लंबी अवधि का लक्ष्य है, तो बाजार का जोखिम कवर हो जाता है. ज्यादातर उन म्यूचुअल फंडों का प्रदर्शन बेहद अच्छा है, जिनमें 10 साल से ज्यादा निवेश किया गया है. म्यूचुअल फंड का सबसे बड़ा फायदा यह है कि बाजार में रैली आने पर रिटर्न भी जोरदार हो सकता है. इसमें 10 साल से 15 साल की अवधि में 12 से 15 फीसदी सालाना की दर से रिटर्न मिल सकता है. यानी जोखिम उठाने के बाद आप पीपीएफ से मिलने वाले ब्याज से दोगुना रकम कमा सकते हैं.
मेच्योरिटी
पीपीएफ में मेच्योरिटी पीरियड 15 साल को होता है. हालांकि, बाद में उसे 5-5 साल के लिए आगे बढ़ाया जा सकता है. वहीं, म्यूचुअल फंड में आप जितने साल चाहें निवेश बनाए रह सकते हैं. हालांकि, ईएलएसएस और डेट फंड की योजनाओं में मेच्योरिटी पीरियड निर्धारित होता है.
कौन सा विकल्प आपको जल्दी बनाएगा करोड़पति
पीपीएफ में हर महीने अधिकतम 12,500 रुपये जमा किया जा सकता है, जो सालाना करीब 1.5 लाख है. इसी आधार पर पीपीएफ और म्यूचुअल फंड में कैलकुलेशन किया गया है. पीपीएफ पर सालाना ब्याज अभी 7.1 फीसदी ब्याज है. वहीं, म्यूचुअल फंड में पिछले 15 साल में ऐसी कई स्कीम हैं, जिनमें एसआईपी का औसत रिटर्न 12 से 15 फीसदी सालाना रहा है. यहां म्यूचुअल फंड में औसत रिटर्न 10 फीसदी सालाना रखा गया है.
पीपीएफ का कैलकुलेशन
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अधिकतम मासिक जमा: 12,500 रुपये
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अधिकतम सालाना जमा: 1,50,000 रुपये
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ब्याज दरें : 7.1 फीसदी सालाना कंपाउंड इंटरेस्ट
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25 साल बाद मेच्योरिटी पर रकम : 1.03 करोड़ रुपये
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कुल निवेश: 37,50,000
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25 साल में ब्याज का फायदा : 65.58 लाख रुपये
इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम का कैलकुलेशन
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अधिकतम मासिक एसआईपी जमा : 12,500 रुपये
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अधिकतम सालाना जमा : 1,50,000 रुपये
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अनुमानित ब्याज दरें : 10 फीसदी सालाना कंपाउंड इंटरेस्ट
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21 साल बाद मेच्योरिटी पर रकम : 1.07 करोड़ रुपये
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कुल निवेश : 31,50,000
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21 साल में ब्याज का फायदा : 69 लाख रुपये
Posted By : Vishwat Sen
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