EPF, GPF, PPF से जुड़े कई सवाल हैं. इससे जुड़े अहम नियम क्या है. हमारी वेतन का कितना हिस्सा ईपीएफ में कटता है ? इन सारे सवालों के जवाब के दे रही है सीए. श्वेता बाग्ला .
यह तीनों ही सेविंग स्कीम है. भारत सरकार की तरफ से कर्मचारियों के लिए यह एक शानदार तोहफा है. ईपीएफ स्कीम ऑर्गनाइज्ट कॉरपोरेट सेक्टर के लिए है. यह उन लोगों के जरूरी है जहां 20 से ज्यादा कर्मचारी है. जीपीएफ सरकारी कर्मचारियों के लिए है. पीपीएफ स्कीम का लाभ कोई भी नागरिक ले सकता है. इसमें हम कम से कम पांच सौ रुपये सालना और ज्यादा से ज्यादा 1 लाख 50 हजार रख सकते हैं.
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जीपीएफ स्कीम में सरकारी वेतन का कम से कम छह प्रतिशत हिस्सा जोड़ा जाता है आप इसे बढ़ा सकते हैं. ईपीएफ के तहत प्राइवेट क्षेत्र में काम कर रहा कर्मचारी 12 फीसद जोड़ता है और कंपनी 12 फीसद अपनी तरफ से देती है.
सरकार ने कोरोना काल के दौरान 75 फीसद हिस्सा निकालने की इजाजत दी थी या तीन महीने का वेतन से कम. पीपीएफ में हम पांच साल से पहले पैसा नहीं निकाल सकते. ईपीएफ से अगर हम पांच साल से पहले पैसा निकालते हैं तो पूरे पैसे पर टैक्स लगेगा.
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इसमें हम थोड़ा – थोड़ा करके अच्छा अमाउंट जमा कर सकते हैं. रिटायरमेंट के बाद हमें अच्छा अमाउंट मिलता है. इससे आप अपने कोई भी सपने पूरे कर सकते हैं. दूसरा आपात स्थिति में आपको मदद मिलती है.
हर कर्मचारी का 12 अंकों का एक अकाउंट नंबर होता है. नौकरी बदलते वक्त आपका अकाउंट नंबर ना बदले इसके लिए नियम है.
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