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Pradhan Mantri Awas Yojana: इन नियमों का रखें ध्यान, नहीं तो खटाखट पैसे वसूल लेगी सरकार

Pradhan Mantri Awas Yojana: प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) केंद्र सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है, जिसका उद्देश्य समाज के कमजोर और मध्यम वर्ग के लोगों को घर दिलाने में मदद करना है इस योजना का फायदा तभी मिलता है जब लाभार्थी कुछ विशेष शर्तों को पूरा करता है. अगर वह शर्तों का पालन नहीं करता, तो उसे मिली हुई सब्सिडी ब्याज सहित वापस करनी पड़ सकती है. आइए जानते हैं कि इस योजना में किन शर्तों का पालन आवश्यक है.

Pradhan Mantri Awas Yojana: प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) केंद्र सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है, जिसका उद्देश्य समाज के कमजोर और मध्यम वर्ग के लोगों को घर दिलाने में मदद करना है. 9 अगस्त 2023 को प्रधानमंत्री आवास योजना 2.0 लॉन्च की गई थी, जो पहले चरण की सफलता के बाद शुरू की गई. इस योजना के तहत जरूरतमंदों को घर बनाने या खरीदने के लिए सब्सिडी दी जाती है, जिससे उनका होम लोन चुकाने का बोझ कम हो जाता है. इसमें क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी स्कीम (CLSS) के माध्यम से होम लोन पर ब्याज में छूट मिलती है, जो घर खरीदने वालों को बड़ी राहत प्रदान करती है.

हालांकि, इस योजना का फायदा तभी मिलता है जब लाभार्थी कुछ विशेष शर्तों को पूरा करता है. अगर वह शर्तों का पालन नहीं करता, तो उसे मिली हुई सब्सिडी ब्याज सहित वापस करनी पड़ सकती है. आइए जानते हैं कि इस योजना में किन शर्तों का पालन आवश्यक है और किन परिस्थितियों में सब्सिडी वापस ली जा सकती है.

प्रधानमंत्री आवास योजना 2.0: योजना की विशेषताएं

प्रधानमंत्री आवास योजना 2.0 में सरकार ने होम लोन पर मिलने वाली क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी स्कीम (CLSS) को लागू किया है. इस योजना के तहत घर बनवाने या खरीदने के लिए होम लोन पर ब्याज में छूट मिलती है, जिससे EMI का बोझ कम होता है. यह स्कीम गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए एक बेहतरीन अवसर है, जिसमें उन्हें किफायती दरों पर घर खरीदने का मौका मिलता है.

योजना के तहत आवेदन करने पर आवेदक के होम लोन पर ब्याज सब्सिडी दी जाती है, जिससे होम लोन की राशि और मासिक किस्तें (EMI) कम हो जाती हैं. हालांकि, कुछ शर्तों का पालन न करने पर यह सब्सिडी वापस ली जा सकती है.

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किन परिस्थितियों में वापस हो सकती है सब्सिडी

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सब्सिडी का लाभ लेने के लिए आवेदकों को कुछ शर्तों का पालन करना अनिवार्य होता है. इन शर्तों का उल्लंघन करने पर लाभार्थी को मिली हुई सब्सिडी की राशि वापस करनी पड़ सकती है. आइए जानते हैं उन प्रमुख स्थितियों के बारे में, जिनमें सब्सिडी वापस ली जा सकती है:

कर्ज की किस्तें समय पर न चुकाना

अगर कोई लाभार्थी अपने होम लोन की किस्तों का समय पर भुगतान नहीं करता है और उसका लोन नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (NPA) बन जाता है, तो बैंक मान लेता है कि लोन की राशि वापस नहीं मिलेगी. ऐसी स्थिति में सरकार क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी को वापस ले लेती है.

निर्माण का बंद होना

अगर लाभार्थी ने होम लोन लेकर मकान का निर्माण शुरू किया है और फिर किसी कारणवश निर्माण कार्य बंद कर दिया, तो उसे मिली हुई सब्सिडी वापस करनी होगी. मकान का निर्माण रुक जाने पर सरकार यह मानती है कि आवेदक योजना का दुरुपयोग कर रहा है.

मकान के इस्तेमाल का प्रमाण पत्र जमा न करना

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान के इस्तेमाल का प्रमाण पत्र जमा करना अनिवार्य होता है. अगर लाभार्थी इस सर्टिफिकेट को समय पर जमा नहीं करता है, तो सरकार सब्सिडी की राशि वापस ले सकती है. यह प्रमाण पत्र कर्ज की पहली किस्त मिलने की तारीख से एक साल के अंदर या अधिकतम 36 महीनों के भीतर जमा करना होता है.

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प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए आवेदन करते समय इन बातों का रखें ध्यान

प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ लेने के लिए आवेदकों को कुछ शर्तों का पालन करना आवश्यक होता है. अगर कोई आवेदक इन शर्तों का पालन नहीं करता, तो उसे मिली हुई सब्सिडी की राशि वापस करनी पड़ सकती है.

  • परिवार को मिलती है एक ही सब्सिडी: योजना के तहत एक परिवार को केवल एक बार सब्सिडी का लाभ मिलता है.जिसमे परिवार में पति-पत्नी और अविवाहित बच्चे शामिल होते हैं.
  • पक्का मकान नहीं होना चाहिए: आवेदक या उसके परिवार के नाम पर पहले से कोई पक्का मकान नहीं होना चाहिए.
  • दूसरी आवास योजना का लाभ नहीं लिया होना चाहिए: आवेदक या उसके परिवार को किसी अन्य आवास योजना से घर के लिए सहायता नहीं मिली होनी चाहिए.

सब्सिडी खत्म होने पर क्या होता है

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ब्याज सब्सिडी लाभार्थी के लोन खाते में एडवांस में दी जाती है. इसका मतलब है कि लोन की शुरुआत में ही यह सब्सिडी क्रेडिट हो जाती है, जिससे होम लोन की प्रभावी राशि और EMI कम हो जाती है. हालांकि, जब यह सब्सिडी खत्म हो जाती है, तब लाभार्थी को मूल ब्याज दर पर लौटना पड़ता है, जिससे उसकी EMI में वृद्धि हो जाती है.
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