Petrol Price Hike: कच्चा तेल 100 डॉलर के करीब, 7 मार्च को पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भारी वृद्धि संभव
Petrol-Diesel Price Hike: घरेलू स्तर पर पेट्रोल (Petrol Price) और डीजल (Diesel Price) के दाम पिछले कुछ महीनों की तरह लगातार स्थिर हैं.
Petrol-Diesel Price Hike: पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव (Assembly Elections 2022) समाप्त होने के बाद 7 मार्च की देर शाम तक पेट्रोल-डीजल की कीमतों (Petrol-Diesel Rate) में भारी इजाफा हो सकता है. यूक्रेन (Ukraine Crisis) पर रूस की सैन्य कार्रवाई शुरू होने के साथ ही मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम (Crude Oil Price) 100 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गये. इसके बावजूद घरेलू स्तर पर पेट्रोल (Petrol Price) और डीजल (Diesel Price) के दाम पिछले कुछ महीनों की तरह लगातार स्थिर हैं.
चुनाव के बाद बढ़ सकते हैं पेट्रोल-डीजल के भाव
संभावना जतायी जा रही है कि उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh Assembly Election), पंजाब (Punjab Assembly Election), उत्तराखंड (Uttarakhand Assembly Election), मणिपुर (Manipur Assembly Election) एवं गोवा (Goa Assembly Election) में विधानसभा चुनाव संपन्न होने के साथ ही पेट्रोल (Petrol Rate) एवं डीजल (Diesel Rate) की कीमतों में बड़ी वृद्धि की जा सकती है. पेट्रोलियम उत्पादों के लिए भारत बड़े पैमाने पर आयात पर निर्भर है. इसलिए तेल की आपूर्ति बाधित होने की आशंका है.
कच्चे तेल की आपूर्ति बाधित होने की आशंका
कच्चे तेल (Crude Oil) एवं गैस (Natural Gas) के प्रमुख उत्पादक देश रूस के यूक्रेन के साथ विवाद में उलझने से आपूर्ति बाधित होने की आशंका की वजह से अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड (Brent Crude) का भाव 99.38 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया. हालांकि, इस वायदा भाव पर कुछ मुनाफावसूली होने से आखिर में यह 98 डॉलर प्रति बैरल से थोड़ा ऊपर बंद हुआ. इससे पहले ब्रेंट क्रूड सितंबर 2014 में 99 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर गया था.
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रूस में बड़े पैमाने पर होता है प्राकृतिक गैस का उत्पादन
रूस यूरोप में प्राकृतिक गैस का करीब एक-तिहाई उत्पादन करता है और वैश्विक तेल उत्पादन में उसकी हिस्सेदारी करीब 10 प्रतिशत है. यूरोपीय देशों को जाने वाली गैस पाइपलाइन यूक्रेन से होकर ही गुजरती है. हालांकि, भारत के तेल आयात में रूस की हिस्सेदारी बहुत कम है. वर्ष 2021 में भारत ने रूस से प्रतिदिन 43,400 बैरल तेल का आयात किया था, जो उसके कुल तेल आयात का करीब एक प्रतिशत ही है. भारत ने रूस से 18 लाख टन कोयला का आयात किया, जो भारत के कुल कोयला आयात का 1.3 प्रतिशत है.
रूस से आपूर्ति भारत के लिए चिंता नहीं
रूसी गैस कंपनी गैजप्रॉम से भारत 25 लाख टन एलएनजी खरीदता है. इस तरह रूस से होने वाली आपूर्ति भारत के लिए अधिक चिंता का विषय नहीं है, लेकिन कच्चे तेल की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय कीमतें उसकी मुश्किलें जरूर बढ़ा सकती हैं. इसकी एक खास वजह यह है कि विधानसभा चुनावों के दौरान रिकॉर्ड 110 दिन से देश में ईंधन के दाम अपरिवर्तित बने हुए हैं.
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इंडियन ऑयल, एचपी और बीपीसीएल तय करती है तेल के भाव
सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम विपणन कंपनियों इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) को दैनिक आधार पर पेट्रोल एवं डीजल की कीमतें तय करने का अधिकार सरकार ने दे रखा है. ये कीमतें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम से प्रभावित होती हैं.
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अभी इस स्तर पर हैं पेट्रोल-डीजल के दाम
पेट्रोलियम उद्योग से जुड़े सूत्रों ने कहा है कि इस वक्त भारत में पेट्रोल एवं डीजल की खुदरा बिक्री की दरें 82-83 डॉलर प्रति बैरल के कच्चे तेल के भाव के अनुरूप हैं. विशेषज्ञ बता रहे हैं कि विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद 7 मार्च या विधानसभा चुनावों की मतगणना खत्म होने के बाद 10 मार्च को पेट्रोल एवं डीजल के भाव बढ़ सकते हैं.
पेट्रोल के दाम इस तरह से घटे
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अक्टूबर, 2021 के अंतिम सप्ताह में ब्रेंट क्रूड के भाव 86 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर होने के समय दिल्ली में पेट्रोल 110 रुपये और डीजल 98 रुपये प्रति लीटर के भाव पर बिक रहा था.
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नवंबर की शुरुआत में उत्पाद शुल्क में कटौती और राज्य सरकार के स्तर पर वैट में राहत देने के बाद पेट्रोल 95.41 रुपये प्रति लीटर और डीजल 86.67 रुपये प्रति लीटर के भाव पर आ गया.
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नवंबर की शुरुआत से ही ब्रेंट क्रूड के भाव में नरमी आनी शुरू हो गयी थी और दिसंबर में यह 68.87 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर आ गया था.
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नये साल की शुरुआत से ही इसके दाम बढ़ने लगे थे और फरवरी में ही यह 12 प्रतिशत से अधिक चढ़ चुका है.
Posted By: Mithilesh Jha
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