इस त्योहारी सीजन (festival season, diwali 2020) में महंगाई सातवें आसमान पर है. पिछले एक साल की बात करें तो इस दौरान गेहूं को छोड़कर सभी जरूरी खाद्य पदार्थों के दाम में आग (prices of all essential food items increased) लग गई है. आलू (potato prices, onions prices) के दाम पर नजर डालें तो इसमें सबसे ज्यादा 92% का उछाल देखा गया जबकि प्याज सालभर में 44 फीसदी महंगा हो चुका है.
खाने की चीजें महंगी होने से आम जनता के साथ-साथ नीति नियंताओं की परेशानी बढ़ चुकी है. इस महंगाई को लेकर विशेषज्ञ की राय भी सामने आई है. उनरका मानना है कि यह महंगाई अस्थायी है और सप्लाई सुधरते ही इसमें सुधार आ जाएगा. आंकडों पर नजर डालने पर पता चलता है कि सब्जियों, मांस-मछली और दालों के दाम खासतौर पर इन दिनों महंगाई दिख रही है.
बात प्याज के भाव की : यदि आप इन दिनों बाजार गये होंगे और प्याज खरीदा होगा तो आपको इसकी कीमत का अंदाजा होगा. जी हां…प्याज की कीमत करीब 65 रुपये के आसपास है. यही वजह है कि उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय को लिमिट तय करनी पड़ गई. यदि आलू के दाम भी बढ़ते हैं तो सरकार उसकी स्टॉक लिमिट भी लागू करने का काम कर सकती है. इधर रिजर्व बैंक का कहना है कि अगले साल की शुरुआत तक कीमतें नियंत्रण में आ सकती है.
डेटा पर नजर : उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के डेटा पर नजर डालें तो पता चलता है कि पिछले एक साल में, थोक बाजार में आलू के दाम 108% बढ़े हैं. साल भर पहले थोक में आलू 1,739 रुपये क्विंटल बाजार में उपलब्ध था, वहीं अब यह 3,633 रुपये क्विंटल मिल रहा है. शनिवार को प्याज के दाम 5,645 रुपये प्रति क्विंटल थे जो कि सालभर पहले 1,739 हुआ बिक रहा था. इसका मतलब यह है कि प्याज की कीमत में सालभर में 47% इजाफा हुआ है.
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किचन का बजट हुआ गड़बड़ : आलू और प्याज के अलावा दाल और सब्जियों के दाम बढ़ जाने से घरों का बजट गड़बड़ा गया है. पिछले कुछ महीनों की बात करें तो यह ट्रेंड थोक और खुदरा महंगाई के आंकड़ों में भी दिख रहा है. डेटा के मुताबिक, सब्जियों, मांस-मछली और दालों जैसे खाद्य पदार्थों की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं. इस महंगाई का ही नतीजा रहा कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को ब्याज दर कटौती चक्र को रोकना पड़ गया.
Posted By : Amitabh Kumar
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