60 से 70 रुपये प्रति लीटर हो जायेगी गाड़ी के फ्यूल की कीमत, सरकार ने ढुढ़ निकाला बड़ा रास्ता
हर दिन बढ़ रहे पेट्रोल - डीजल की कीमत थम नहीं रहा है. इसकी कीमत और कितनी बढ़ेगी कहां तक पहुंचेगी कहना मुश्किल है. पेट्रोल और डीजल दोनों की कीमत 100 के आंकड़े को पार कर चुकी है. कई राज्यों में पेट्रोल 120 रुपये से महंगा मिल रहा है.
सरकार आपके फ्यूल की प्राइज को कम करके 60 से 70 रुपये प्रति लीटर करने का मन बना रही है. ध्यान रहे कि फ्यूल का अर्थ पेट्रोल और डीजल भर नहीं है. सरकार इनके विकल्पों पर विचार कर रही है औऱ सरकार ने इसका रास्ता खोज निकाला है.
हर दिन बढ़ रहे पेट्रोल – डीजल की कीमत थम नहीं रहा है. इसकी कीमत और कितनी बढ़ेगी कहां तक पहुंचेगी कहना मुश्किल है. पेट्रोल और डीजल दोनों की कीमत 100 के आंकड़े को पार कर चुकी है. कई राज्यों में पेट्रोल 120 रुपये से महंगा मिल रहा है.
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क्यों कम नहीं हो रही है पेट्रोल डीजल की कीमत
सरकार लंबे समय से कीमतों पर लगाम लगाने की कोशिश कर रही है लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगातार बढ़ रही कच्चे तेल की कीमत का असर भारतीय बाजार पर पड़ रहा है. सरकार दूसरे विकल्पों की तलाश में लगी है.
ऐसे विकल्प जो पेट्रोल – डीजल से सस्ते हों और आसानी से उपलब्ध है. सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वाहनों में पेट्रोल डीजल का इस्तेमाल बंद कर दिया जाएगा. आजतक के एक कार्यक्रम में गडकरी ने यह स्पष्ट कर दिया था कि हमें पेट्रोल- डीजल को लेकर हमारी दूसरे देशों की निर्भरता को कम करना होगा.
क्या है सरकार की नीति
केंद्र सरकार देश में जल्द ही फ्लेक्स-ईंधन लाने का प्लान बना रही है. अगर देश में फ्लैक्स फ्यूल इंजन को अनिवार्य हो जाता है, तो लोग अपनी गाड़ियां इथेनॉल से भी चला सकेंगे. इथेनॉल की कीमत 65-70 रुपए प्रति लीटर है.
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गडकरी ने भरोसा दिया है कि ‘फ्लेक्स फ्यूल इंजन को हम अगले 6-8 महीनों में लागू कर सकते हैं, ये मेरे हाथ में है. हम सभी वाहन विनिर्माताओं से अगले 6-8 महीनों में यूरो-छह उत्सर्जन मानदंडों के तहत फ्लेक्स-ईंधन इंजन बनाने के लिए कहेंगे.
अब समझ लीजिए कि यह आपको कैसे सस्ता पड़ेगा और क्या है फ्लेक्स फ्यूल इंजन?
फ्लेक्स फ्यूल इंजन गैसोलीन और मेथेनॉल या इथेनॉल के संयोजन से बना एक वैकल्पिक ईंधन है. एथेनॉल एक तरीके का जैविक ईंधन होता है, जो गन्ना, मक्का और अन्य अपशिष्ट खाद्य पदार्थों से तैयार किया जाता है. इससे किसान भी आसानी से तैयार कर सकते हैं और इस ईधन के इस्तेमाल से प्रदूषण भी कम होता है.
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