जनधन खाते और आधार के बहाने संसद में पीएम मोदी ने कांग्रेस को घेरा, याद दिलाया वो विरोध…

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि कोरोना कालखंड में जनधन खाते, आधार, ये सभी गरीब के काम आए, लेकिन कभी-कभी सोचते हैं कि आधार को रोकने के लिए कौन लोग सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे में गए थे?

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 10, 2021 6:52 PM

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि कोरोना कालखंड में जनधन खाते, आधार, ये सभी गरीब के काम आए, लेकिन कभी-कभी सोचते हैं कि आधार को रोकने के लिए कौन लोग सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे में गए थे? इस कालखंड में भी हमने रिफॉर्म का सिलसिला जारी रखा है. हम इस इरादे से चले हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए हमें नए कदम उठाने होंगे और हमने पहले दिन से ही कई कदम उठाए हैं.

उन्होंने कहा कि ये हिन्दुस्तान है, जो लगभग 75 करोड़ भारतीयों को कोरोना काल के दौरान 8 महीने तक राशन पहुंचा सकता है. कई विशेषज्ञों ने कहा है कि भारत की विकास दर दहाई अंकों में होगी. मुझे उम्मीद है कि देशवासियों की अकांक्षा के अनुसार देश प्रगति करेगा.

प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को कहा कि कोविड-19 के बाद दुनिया में अपनी जगह बनाने के लिए देश को सशक्त होना पड़ेगा और ‘आत्मनिर्भर भारत’ ही उसका रास्ता है. प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत जितना सशक्त बनेगा, उतना ही वह मानव जाति और विश्व कल्याण में अपनी भूमिका निभाएगा.

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की परिस्थितियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उस वक्त विश्व ने एक नया आकार लिया था और ठीक उसी प्रकार कोविड-19 के बाद भी विश्व अपना आकार लेगा, लेकिन आज का भारत ‘मूकदर्शक’ बना नहीं रह सकता. उन्होंने कहा कि हमें भी एक मजबूत देश के रूप में उभरना होगा. जनसंख्या के आधार पर हम दुनिया में अपनी मजबूती का दावा नहीं कर पाएंगे. वह हमारी एक ताकत है, लेकिन इतनी ताकत मात्र से नहीं चलता है. नए वैश्विक मॉडल में भारत को अपनी जगह बनाने के लिए सशक्त होना पड़ेगा, समर्थ होना पड़ेगा और उसका रास्ता है आत्मनिर्भर भारत.’

उन्होंने कहा कि आज फार्मेसी के क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर है और देश ने दुनिया को कोविड संक्रमण के दौरान दिखाया कि वह कैसे वैश्विक कल्याण के काम आ सकता है. उन्होंने कहा कि भारत जितना सशक्त बनेगा, जितना समर्थ बनेगा, मानव जाति के कल्याण के लिए विश्व के कल्याण के लिए एक बहुत बड़ी भूमिका अदा कर सकेगा. हमारे लिए आत्मनिर्भर भारत के विचार आवश्यक है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति का अभिभाषण देश के 130 करोड़ नागरिकों की संकल्प शक्ति का परिचय है कि विकट और विपरीत परिस्थितियों में देश किस प्रकार से अपना रास्ता चुनता है, रास्ता तय करता है और उसे हासिल करते हुए आगे बढ़ता है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण का एक-एक शब्द देशवासियों में एक नया विश्वास पैदा करने वाला है और हर किसी के दिल में देश के लिए कुछ करने की प्रेरणा जगाने वाला है. इसलिए हम उनका जितना आभार व्यक्त करें उतना कम है. अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में बड़ी संख्या में महिलाओं की भागीदारी के लिए प्रधानमंत्री ने महिला सदस्यों का विशेष रूप से धन्यवाद किया.

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Posted By : Vishwat Sen

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