Petrol-Diesel Price : भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम में पिछले 28 दिनों से कोई बदलाव नहीं हुआ है. केंद्र सरकार द्वारा 21 मई को एक्साइज ड्यूटी में कटौती करने के बाद सरकारी पेट्रोलियम विपणन कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं की है, लेकिन अब इन दोनों आवश्यक ईंधनों कीमतें ज्यादा दिन तक स्थिर नहीं रह सकती हैं. इसका कारण यह है कि प्राइवेट सेक्टर की तेल बेचने वाली कंपनियों ने हो रहे घाटे का हवाला देते हुए कीमतों में बढ़ोतरी करने के लिए सरकार को चिट्ठी लिखी है.
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, कच्चे तेल में तेजी के बावजूद पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं बढ़ने की वजह से तेल बेचने वाली प्राइवेट सेक्टर जियो-बीपी और नायरा एनर्जी जैसी कंपनियों ने घाटे का हवाला देकर सरकार को चिट्ठी लिखी है. इन दोनों कंपनियों ने अपनी चिट्ठी में सरकार से कहा है कि उन्हें डीजल की बिक्री पर प्रति लीटर 20 से 25 रुपये और पेट्रोल पर 14 से 18 रुपये का नुकसान हो रहा है. इन कंपनियों ने पेट्रोलियम मंत्रालय को इस बारे में पत्र लिखा है और सरकार से एक व्यवहार्य निवेश वातावरण बनाने के लिए कदम उठाने की मांग की है.
फेडरेशन ऑफ इंडियन पेट्रोलियम इंडस्ट्री (एफआईपीआई) ने 10 जून को पेट्रोलियम मंत्रालय को लिखे पत्र में कहा है कि पेट्रोल और डीजल की बिक्री पर नुकसान से खुदरा कारोबार में निवेश सिमट जाएगा. एफआईपीआई निजी क्षेत्र की कंपनियों के अलावा इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (एचपीसीएल) को अपने सदस्यों में गिनता है.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल और इसके उत्पादों की कीमतें एक दशक के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गई हैं, लेकिन सरकारी ईंधन खुदरा विक्रेताओं ने पेट्रोल और डीजल कीमतों को ‘फ्रीज’ किया हुआ है. सरकारी कंपनियों का ईंधन खुदरा कारोबार में 90 प्रतिशत का हिस्सा है. इस समय ईंधन के दाम लागत लागत के दो-तिहाई पर ही हैं, जिससे निजी कंपनियों को नुकसान हो रहा है. इससे जियो-बीपी, रोसनेफ्ट समर्थित नायरा एनर्जी और शेल के समक्ष या तो दाम बढ़ाने या अपने ग्राहक गंवाने का संकट पैदा हो गया है.
पेट्रोल और डीजल के लिए खुदरा बिक्री मूल्य में नवंबर, 2021 की शुरुआत और 21 मार्च, 2022 के बीच कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद रिकॉर्ड 137 दिन तक कोई वृद्धि नहीं हुई थी. 22 मार्च, 2022 से खुदरा बिक्री मूल्य को 14 मौकों पर प्रतिदिन औसतन 80 पैसे प्रति लीटर की दर से बढ़ाया गया, जिससे पेट्रोल और डीजल दोनों के दामों में 10 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हुई.
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एफआईपीआई के महानिदेशक गुरमीत सिंह ने चिट्ठी में लिखा है कि प्राइवेट कंपनियों को लागत से कम मूल्य पर ईंधन की बिक्री (अंडर-रिकवरी) से डीजल पर प्रति लीटर 20-25 रुपये और पेट्रोल पर प्रति लीटर 14-18 रुपये का नुकसान हो रहा है. 6 अप्रैल से ईंधन के खुदरा दाम नहीं बढ़े हैं. वहीं राज्य परिवहन उपक्रमों जैसे थोक खरीदारों को बेचे जाने वाले ईंधन के दाम में अंतरराष्ट्रीय कीमतों के अनुरूप बढ़ोतरी हुई है. एफआईपीआई ने कहा कि इससे बड़ी संख्या में थोक खरीदार खुदरा आउटलेट से खरीद कर रहे हैं, जिससे निजी क्षेत्र की कंपनियों का नुकसान और बढ़ रहा है. चिट्ठी में सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप की अपील की गई है.
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