Indian Railways : रेल गाड़ी से सफर करने वाले देश के लाखों सवारियों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण खबर है. भारतीय रेलवे की ओर से देश में फिलहाल प्राइवेट पैसेंजर ट्रनों का संचालन नहीं किया जा सकेगा. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि रेल मंत्रालय ने इन प्राइवेट पैसेंजर ट्रेनों को चलाने संबंधी निविदा प्रक्रिया को ही रद्द कर दिया है.
क्यों नहीं चलेंगी प्राइवेट ट्रेन्स?
समाचार एजेंसी पीटीआई की ओर से दी गई खबर के अनुसार, देश में करीब 30 हजार करोड़ रुपये खर्च करने के बाद प्राइवेट पैसेंजर ट्रेनों को चलाने की योजना बनाई गई थी, जिसके लिए सरकार ने निविदाएं आमंत्रित की थी. बुधवार को रेल मंत्रालय ने देश में प्राइवेट ट्रेनों को चलाने के लिए शुरू की गई करीब 30 हजार करोड़ की निविदा प्रक्रिया को ही रद्द कर दिया है.
क्यों रद्द की गई निविदा प्रक्रिया?
इसके पीछे वजह यह बताई जा रही है कि प्राइवेट ट्रेनों को चलाने के लिए देश की कई कंपनियों ने निविदा प्रक्रिया में अपनी दिलचस्पी नहीं दिखाई. बताया यह जा रहा है कि इसके लिए रेल मंत्रालय की ओर से शुरू की गई निविदा प्रक्रिया की शर्तें भारतीय रेलवे के पक्ष में अधिक और कंपनियों को फायदा कम हो रहा था.
नए सिरे से जारी होगी निविदाएं
सूत्रों के हवाले से मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, प्राइवेट ट्रेनों के संचालन के लिए मौजूदा टेंडर्स को रद्द कर दिया गया है और निजी भागीदारी के लिए कुछ प्रावधानों में बदलाव करते हुए नए बिड जल्दी ही जारी किए जाएंगे. रेल मंत्रालय ने हाल के टेंडर प्रक्रिया से सबक लेते हुए नए बिड पर काम करना भी शुरू कर दिया है.
109 जोड़ी ट्रेनों को चलाने की है योजना
गौरतलब है कि पिछले साल जुलाई में ही रेल मंत्रालय ने देश के 12 क्लस्टर में निजी ट्रेनें चलाने के लिए बोली आमंत्रित की थी. इन सभी क्लस्टर में 109 जोड़ी ट्रेनों का संचालन किया जाना है. मंत्रालय की ओर से कहा गया था कि बिड जीतने वाली फर्म को रेवेन्यू बिजनेस मॉडल के आधार पर 35 साल की रियायती अवधि दी जाएगी.
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किन-किन कंपनियों ने दिखाई रुचि?
सरकार की ओर से शुरू की गई इस प्रोजेक्ट में जीएमआर हाईवेज, आईआरसीटीसी, आईआरबी इन्फ्रा, क्यूब हाइवे, सीएएफ इंडिया जैसी कई कंपनियों ने रुचि दिखाई थी, लेकिन आरएफपी चरण यानी फाइनेंशियल बिडिंग के दौर तक आते-आते मैदान में सिर्फ दो कंपनियां आईआरसीटीसी और मेघा इंजीनियरिंग एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर बची रह गईं. इन दोनों कंपनियों ने भी महज दो क्लस्टर में ट्रेन चलाने में रुचि दिखाई.
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