Loading election data...

यूक्रेन पर कब्जे की जिद्द में कारोबारी अस्तित्व मिटाते जा रहे पुतिन? रूस से दूरी बनाने लगीं कंपनियां

करीब तीन दशक पूर्व राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव की तानाशाही नीतियों की वजह से रूस को वर्ष 1991 में सोवियत संघ के विघटन का दंश झेलना पड़ा था. अब रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने पर दुनिया भर के देश उस पर प्रतिबंध लगा दिया है. इन प्रतिबंधों की वजह से विदेशी कंपनियों ने रूस से दूरी बनाना शुरू कर दिया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 2, 2022 12:36 PM

नई दिल्ली/मास्को : सोवियत संघ का अभिन्न अंग मानकर यूक्रेन पर कब्जा करने और उसे रूसी दायरे से बाहर निकलकर यूरोपीय यूनियन और नाटो देशों में शामिल नहीं होने की जिद्द में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन युद्ध कर रहे हैं. लेकिन, कहीं ऐसा तो नहीं कि वे अपनी जिद्द के चलते रूस का कारोबारी अस्तित्व ही मिटाते चले जा रहे हैं? इसका कारण यह कि करीब तीन दशक पूर्व राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव की तानाशाही नीतियों की वजह से रूस को वर्ष 1991 में सोवियत संघ के विघटन का दंश झेलना पड़ा था. अब जबकि रूस यूक्रेन के साथ युद्ध लड़ रहा है, तो दुनिया भर के देश उस पर प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिया है. इन प्रतिबंधों की वजह से विदेशी कंपनियों ने रूस से दूरी बनाना शुरू कर दिया है.

एप्पल, गूगल, फेसबुक और इंस्टाग्राम ने रूस से बनाई दूरी

बीबीसी हिंदी के अनुसार, अमेरिकी आईफोन निर्माता कंपनी एप्पल ने अपने सभी उत्पादों की रूस में बिक्री पर रोक लगा दी है. यूक्रेन पर हमले के कारण ऐसा फैसला करने वाली एप्पल सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है. एप्पल के अलावा ऊर्जा कंपनी एक्सॉनमॉबिल ने भी रूस में अपना काम बंद करने और निवेश रोकने की घोषणा की है. इतना ही नहीं, फेसबुक, गूगल और इंस्टाग्राम ने भी रूस से दूरी बना लिया है. आईफोन निर्माता कंपनी ने कहा है कि वह रूस के हमले से बेहद चिंतित है. उसने कहा है कि वह उनके साथ खड़ी है, जो हिंसा से पीड़ित हैं.

गूगल-एप्पल ने रूस में सेवाओं को सीमित किया

इसके साथ ही, रूस में एप्पल पे और एप्पल मैप जैसी सेवाओं को भी सीमित कर दिया गया है. गूगल ने रूस के सरकारी सहायता प्राप्त मीडिया आरटी को भी अपने फीचर्स से हटा दिया है. समाचार एजेंसी आरआईए के मुताबिक, रूस के वीटीबी बैंक जैसे ऐप अब एप्पल के आईओएस ऑपरेटिंग सिस्टम में रूसी भाषा में नहीं चल पाएंगे. एप्पल ने अपने बयान में बताया है कि उसने यूक्रेन में एप्पल मैप्स में यूक्रेनी नागरिकों की सुरक्षा के लिहाज़ से ट्रैफिक और लाइव इंसिडेंट्स को डिसेबल्ड कर दिया है.

ब्रिटेन ने अपने बंदरगाहों पर रशियन जहाजों की एंट्री रोकी

इसके साथ ही, यूक्रेन पर रूसी सैनिकों के हमले के बाद ब्रिटेन ने भी रूस पर प्रतिबंध लगा दिया है. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने अपने बंदरगाहों पर रूसी जहाजों की एंट्री पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही, ब्रिटेन ने एक और सख्त कदम उठाते हुए रूसी बैंकों की संपत्ति को फ्रीज करने का फैसला किया है. इतना ही नहीं, उसने रूसी उड़ान के लिए अपने हवाई क्षेत्र पर प्रतिबंध लगा दिया है.

कनाडा ने कच्चे तेल के आयात पर लगाई रोक

रूस पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए उत्तर अमेरिकी देश कनाडा ने भी कच्चे तेल के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है. कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो ने रूस से कच्चे तेल के आयात पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया. इसके साथ ही, उन्होंने यूक्रेन को सैन्य मदद पहुंचाने का भी ऐलान किया है.

बीपी पीएलसी ने रोसनेफ्ट से निकाली हिस्सेदारी

यूक्रेन पर हमले के बाद विदेशी पेट्रोलियम कंपनियों के लिए पिछले कई दशकों से आकर्षण का केंद्र बने रूस को आर्थिक तौर पर भी झटके लग रहे हैं. 1990 के दशक से रूसी पेट्रोलियम कंपनी रोसनेफ्ट की प्रमुख भागीदार ब्रिटेन की पेट्रोलियम कंपनी बीपी पीएलसी ने भी कड़ा कदम उठाया है. उसने रोसनेफ्ट में अपनी 20 फीसदी की हिस्सेदारी निकालने का फैसला किया है. इसके परिणामस्वरूप रूसी पेट्रोलियम कंपनी को करीब 25 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हो सकता है. इसके साथ ही, उसके उत्पादन में एक तिहाई गिरावट आने के साथ ही वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की आपूर्ति में कमी आ सकती है.

Also Read: रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत के तटस्थ रुख से दुनिया में उठ रहे हैं सवाल, जानिए देश क्यों रहता है निष्पक्ष
शेल पीएलसी ने दो रूस कंपनियों की साझेदारी समाप्त की

बीपी पीएलसी के नक्शेकदम पर चलते हुए ब्रिटेन की दूसरी पेट्रोलियम कंपनी शेल पीएलसी ने दो रूसी भागीदार कंपनी से अपनी साझेदारी समाप्त करने का ऐलान किया है. पिछले सोमवार को ब्रिटेन की पेट्रोलियम कंपनी शेल पीएलसी ने रूसी सरकार के द्वारा संचालित गजप्रोम के साथ अपनी साझेदारी को समाप्त कर दिया. उसके इस कदम से सखालिन-II से उत्पादित तरलीकृत प्राकृतिक गैस सुविधा और नॉर्ड स्ट्रीम-II पाइपलाइन परियोजना में इसकी भागीदारी समाप्त हो जाएगी, जिसे पिछले सप्ताह ही जर्मनी ने ध्वस्त कर दिया था. इन दोनों परियोजना की कीमत करीब 3 अरब अमेरिकी डॉलर है.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Next Article

Exit mobile version