महंगाई पर रघुराम राजन ने दी बड़ी चेतावनी, ऐसे तो आरबीआई से लोगों का उठ जाएगा भरोसा

Raghuram Rajan: रघुराम राजन मानक ब्याज दरें तय करते समय खाद्य महंगई को कैलकुलेशन से बाहर रखने के बारे में आर्थिक समीक्षा 2023-24 में आए सुझावों पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे. आर्थिक समीक्षा में मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने नीतिगत दर निर्धारण की प्रक्रिया से खाद्य महंगाई को बाहर रखने की वकालत की थी.

By KumarVishwat Sen | October 3, 2024 9:10 AM

Raghuram Rajan: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने महंगाई पर बड़ी चेतावनी दी है. भारत के केंद्रीय बैंक की ओर से रेपो रेट तय करते समय खाने-पीने की चीजों की कीमतों को कैलकुलेशन से बाहर रखने पर चिंता जाहिर की है. उन्होंने खाद्य कीमतों को मुख्य महंगाई में शामिल नहीं किए जाने पर असहमति जताते हुए कहा है कि इससे केंद्रीय बैंक से लोगों का भरोसा उठ जाएगा. उन्होंने कहा कि महंगाई एक ऐसे समूह को लक्षित करे, जिसमें उपभोक्ता के इस्तेमाल वाली चीजें शामिल हों. यह महंगाई के बारे में उपभोक्ताओं की धारणा और अंततः मुद्रास्फीति की उम्मीदों को प्रभावित करता है.

महंगाई कम है, तो पीपीआई पर नजर डालें

आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि जब मैं गवर्नर बना था, उस समय भी हम पीपीआई (उत्पादक मूल्य सूचकांक) को लक्षित कर रहे थे. लेकिन, इसका एक औसत उपभोक्ता के सामने पेश होने वाली चुनौतियों से कोई लेना-देना नहीं होता है. उन्होंने कहा कि ऐसे में जब आरबीआई कहता है कि महंगाई कम है, तो पीपीआई पर नजर डालें. अगर उपभोक्ता कुछ अलग तरह की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, तो वे वास्तव में यह नहीं मानते कि महंगाई कम हुई है.

खाद्य कीमतों को घटाने के लिए करना होगा उपाय

अमेरिका स्थित शिकॉगो बूथ में वित्त के प्रोफेसर रघुराम राजन ने कहा कि अगर आप महंगाई के कुछ सबसे अहम हिस्सों को छोड़ देते हैं और उसे नियंत्रण में बताते हैं. खाद्य कीमतें या महंगाई की ‘टोकरी’ में नहीं रखे गए किसी दूसरे खंड की कीमतें आसमान छू रही हैं, तो आप जानते हैं कि लोगों को रिजर्व बैंक पर बहुत भरोसा नहीं होगा. उन्होंने कहा कि आप अल्पावधि में खाद्य कीमतों को प्रभावित नहीं कर सकते. वहीं, अगर खाद्य कीमतें लंबे समय तक अधिक रहती हैं, तो इसका मतलब है कि मांग के सापेक्ष खाद्य उत्पादन पर कुछ बंदिशें हैं. इसका अर्थ है कि इसे संतुलित करने के लिए आपको दूसरे क्षेत्रों में महंगाई को कम करना होगा. उन्होंने कहा कि खाद्य कीमतों को कम करने के लिए आपको उपाय करने होंगे.

आर्थिक समीक्षा में खाद्य कीमतों पर उठे हैं सवाल

समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत के दौरान रघुराम राजन मानक ब्याज दरें तय करते समय खाद्य महंगई को कैलकुलेशन से बाहर रखने के बारे में आर्थिक समीक्षा 2023-24 में आए सुझावों पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे. आर्थिक समीक्षा 2023-24 में मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने नीतिगत दर निर्धारण की प्रक्रिया से खाद्य महंगाई को बाहर रखने की वकालत की थी. उन्होंने कहा था कि मौद्रिक नीति का खाद्य वस्तुओं की कीमतों पर कोई असर नहीं पड़ता है क्योंकि कीमतें आपूर्ति पक्ष के दबावों से तय होती हैं.

बाजार विनियामक को होना चाहिए विश्वसनीय

पूर्व आरबीआई गवर्नर ने बाजार नियामक सेबी की प्रमुख माधबी पुरी बुच के खिलाफ हाल में लगे कई आरोपों पर कहा कि इसे लेकर सजग रहना होगा, क्योंकि कोई भी किसी भी समय आरोप लगा सकता है. उन्होंने कहा कि अगर आरोपों की पर्याप्त जांच हुई है, तो नियामक के लिए सभी आरोपों से परे होना बेहद अहम है. इसका मतलब है कि उसे आरोपों को बिंदुवार संबोधित करना होगा.

इसे भी पढ़ें: Credit Card: क्रेडिट कार्ड के चक्कर में बर्बाद हो रहे लोग, लोन लेकर भर रहे बिल

माधबी पुरी बुच को बिंदुवार देना चाहिए जवाब

सेबी प्रमुख के खिलाफ लगे आरोपों को हितों के टकराव का मामला बताते हुए राजन ने कहा कि आरोपों की जितनी विस्तृत जांच हुई है, उतना ही विस्तृत बिंदुवार जवाब होना चाहिए. आखिरकार, मुझे लगता है कि हमारे विनियामक का यथासंभव विश्वसनीय होना महत्वपूर्ण है. पिछले महीने माधबी और उनके पति धवल बुच ने हिंडनबर्ग रिसर्च और कांग्रेस की तरफ से लगाए गए अनुचित व्यवहार और हितों के टकराव के आरोपों का खंडन करते हुए कहा था कि ये झूठे, दुर्भावनापूर्ण और प्रेरित हैं.

इसे भी पढ़ें: Adani Share: अदाणी ग्रुप का ये स्टॉक्स दे सकता है बंपर रिटर्न, आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने दी सलाह

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Next Article

Exit mobile version