रेलवे की बड़ी कार्रवाई से मचा हड़कंप, ठीक से काम नहीं करने वाले 19 अफसरों को जबरन किया रिटायर

सेवानिवृत किये गये ये सभी रेलवे के उपक्रमों जैसे पश्चिम रेलवे, मध्य रेलवे, पूर्व रेलवे, उत्तर मध्य रेलवे, उत्तर रेलवे, सैंडकोच फैक्टरी कपूरथला, माडर्न कोच फैक्टरी, रायबरेली आदि से हैं. जानें इनपर क्‍यों की गई कार्रवाई.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 12, 2022 7:40 AM

Indian Railway News : रेलवे बोर्ड ने एक ही दिन में प्रथम श्रेणी के 19 वरिष्ठ अधिकारियों को जबरन रिटायर दे दिया है जिसकी चर्चा कर कोई कर रहा है. खबरों की मानें तो इन्हें स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) दी गई है. रेलवे ने बुधवार को प्रतिकूल सतर्कता रिपोर्ट वाले अपने 19 अधिकारियों को सेवानिवृत कर दिया.

सेवानिवृत के लिए किया गया बाध्य

रेलवे ने इस नियम को लागू किया कि किसी सरकारी कर्मी को न्यूनतम तीन महीने का नोटिस देकर या इस अवधि का वेतन देकर सेवानिवृत के लिए बाध्य किया जा सकता है. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि 19 अधिकारियों के अलावा पिछले 11 महीने में 75 अन्य अधिकारियों को वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृति) लेने के लिए बाध्य किया गया जिनमें महाप्रबंधक एवं सचिव जैसे वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं.

Also Read: रेलवे जून से देगा जनरल टिकट पर यात्रा की सुविधा, तीन दर्जन ट्रेनों में बहाल हो जायेगी सुविधा

ठीक से काम नहीं करने के बाद रेलवे ने लिया फैसला

सूत्रों के अनुसार यह कदम ठीक से काम नहीं करने वालों से निजात पाने के केंद्र सरकार के प्रयासों के तहत उठाया गया है. उन्होंने बताया कि जिन 19 लोगों को सेवानिवृत किया गया है उनमें इलेक्ट्रिकल एवं सिग्नल सेवाओं के चार-चार अधिकारी, मेडिकल एवं सिविल से तीन-तीन अधिकारी, कार्मिक से दो, स्टोर, यातायात एवं मेकेनिकल से एक-एक अधिकारी शामिल हैं.

क्‍या है समयपूर्व सेवानिवृति से जुड़े प्रावधान

सेवानिवृत किये गये ये सभी रेलवे के उपक्रमों जैसे पश्चिम रेलवे, मध्य रेलवे, पूर्व रेलवे, उत्तर मध्य रेलवे, उत्तर रेलवे, सैंडकोच फैक्टरी कपूरथला, माडर्न कोच फैक्टरी, रायबरेली आदि से हैं. मूलभूत नियमावली (एफआर) और सीसीएस (पेंशन) नियमावली, 1972 में समयपूर्व सेवानिवृति से जुड़े प्रावधानों के तहत उपयुक्त प्राधिकार को किसी सरकारी कर्मी को सेवानिवृत करने का पूर्ण अधिकार है यदि ऐसा करना जन हित में जरूरी है.

रेल मंत्री नरमी बरतने के मूड में नहीं

सूत्रों की मानें तो रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रेलवे बोर्ड, जोनल रेलवे के महाप्रबंधकों के साथ बैठक की. इस बैठक में उन्होंने कहा कि ‘काम करो या घर जाओ’. रेल मंत्री वैष्णव के 11 माह के कार्यकाल पर गौर करें तो इस दौरान वरिष्ठ अधिकारियों के वीआरएस लेने का आंकड़ा 94 पहुंच चुका है. रेलवे मंत्रालय की कार्रवाई से अधिकारियों में हड़कंप मच गया है. आगे भी वीआरएस देने के लिए अधिकारियों की खोजबीन करने का काम जारी है.

भाषा इनपुट के साथ

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Next Article

Exit mobile version