फसल के अवशेष से भी मुनाफा कमा रहे झारखंड के किसान, वैल्यू चेन मैनेजमेंट सिस्टम का कमाल

बचपन में पिताजी को कई बार खेती में नुकसान उठाते देखा था. अक्सर फसल का उचित भाव नहीं मिलता था या समय पर बिक्री न होने से फसल में कीड़े लग जाते थे. इन्हीं समस्याओं को हल करने के मकसद से ‘वैल्यू चेन मैनेजमेंट सिस्टम’ तैयार किया. इसे मेरे स्टार्टअप की नींव समझ लीजिए.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 9, 2023 5:35 PM

रांची, अभिषेक रॉय. झारखंड की राजधानी रांची के चिपरा नगड़ी के रहने वाले सतीश महतो का कृषि आधारित स्टार्टअप ‘फीडको एग्राेकार्ट’ किसानों को चार चरणों में लाभ पहुंचा रहा है. इसके जरिये किसानों को उसकी फसलों जैसे- अनाज, सब्जी और मौसमी फलों को ग्राहक और बाजार मिल रहा है. बिचौलियों से छुटकारा मिला है. फसल की वाजिब कीमत भी मिल रही है.

फसल के अवशेष से भी मुनाफा कमा रहे किसान

साथ ही किसान खेतों से निकले फसलों के अवशेष से भी मुनाफा कमा रहे हैं. यानी किसानों के पूरे फसल चक्र की लागत की भरपाई हो रही है. यह स्टार्टअप दो बिजनेस मॉडल : एफ-टू-एफ (फार्मर-टू-फार्मर) और बी-टू-बी (बिजनेस-टू-बिजनेस) पर चल रहा है. सतीश महतो इस स्टार्टअप के जरिये छह साल में करोड़ों का व्यापार कर चुके हैं. फिलहाल इस स्टार्टअप से रांची, खूंटी, गुमला और रामगढ़ के 5000 किसान सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं.

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‘वैल्यू चेन मैनेजमेंट सिस्टम’ से मिली कामयाबी

सतीश किसान परिवार से हैं. वे कहते हैं : बचपन में पिताजी को कई बार खेती में नुकसान उठाते देखा था. अक्सर फसल का उचित भाव नहीं मिलता था या समय पर बिक्री न होने से फसल में कीड़े लग जाते थे. इन्हीं समस्याओं को हल करने के मकसद से ‘वैल्यू चेन मैनेजमेंट सिस्टम’ तैयार किया. इसे मेरे स्टार्टअप की नींव समझ लीजिए. इसके जरिये किसानों को एक ही प्लेटफॉर्म पर ‘वन स्टॉप सॉल्यूशन’ मुहैया कराया जाता है.

फसल की उपज का अनुमान लगाती है कंपनी

‘फीडको एग्रोकार्ट’ से जुड़े फील्ड एग्जीक्यूटिव लगातार किसानों से संपर्क कर उनकी फसल की उपज का अनुमान लगाते हैं. फसल की कटाई के बाद किसानों को बाजार उपलब्ध कराया जाता है. इसके लिए किसानों को कहीं नहीं जाना पड़ता, स्टार्टअप से जुड़े कर्मी ही फसल का उठाव करते हैं. फसल कटने के बाद किसान अक्सर खेते से अपशिष्टों के निबटारे के उपाय तलाशते हैं.

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एक लाख की पूंजी से खड़ी की कंपनी, आज करोड़ों की वैल्यू

सतीश ने 2015 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टूरिज्म एंड ट्रैवल मैनेजमेंट भुवनेश्वर से ‘एमबीए इन ऑपरेशन एंड मार्केटिंग’ का कोर्स किया. इसके बाद वे दिल्ली की कारगो कंपनी से जुड़े. कस्टम विभाग में रहते हुए इंपोर्ट-एक्सपोर्ट और बिजनेस चेन को समझा. अनाज, फल-सब्जी के व्यापार का मूल्यांकन किया. इसके बाद नौकरी छोड़ एक लाख रुपये की पूंजी से नवंबर 2016 में अपनी कंपनी की नींव रखी. कंपनी रजिस्ट्रेशन के बाद फरवरी 2017 से स्टार्टअप से लोगों को जोड़ना शुरू किया. ‘स्टार्टअप इंडिया झारखंड’ के तहत 2019 में ‘बेस्ट एग्रो स्टार्टअप’ के रूप में पहचान मिली. साथ ही 1.25 लाख रुपये की फंडिंग मिली. वहीं, 21 मार्च को आइआइटी आइएसएम धनबाद से स्टार्टअप को इंक्यूबेशन मिला है.

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