Rapid Rail Transit System: इस रूट पर शुरू होने वाली भारत की पहली रैपिड रेल, जानें क्या है इसकी खासियत
रैपिड रेल में यात्रियों को चिकित्सा सुविधा भी मुहैया कराई जाएगी. रैपिड रेल की आखिरी बोगी में स्ट्रेचर की भी व्यवस्था की गई है. इसके अलावा, कम लागत पर परिवहन प्रदान करने के लिए मेरठ से दिल्ली रेफर किए जाने वाले मरीजों के लिए एक अलग कोच की व्यवस्था की गई है.
नई दिल्ली : भारत में रेल में हवाई जहाज जैसी सुविधाएं मुहैया कराने वाली पहली रैपिड रेल की जल्द ही शुरू होने जा रही है. रैपिड रेड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) के तहत भारत की पहली हाईस्पीड रैपिड रेल दिल्ली-मेरठ रूट पर शुरू होने जा रही है. मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की पहली रैपिड रेल गाजियाबाद के साहिबाबाद से दुहाई डिपो तक दौड़ेगी. यह करीब 17 किलोमीटर लंबा रूट है. इस खंड पर ट्रैक बनाने का काम पूरा हो गया है. इसके साथ ही, ओवरहेड इक्विपमेंट लाइन के इंस्टालेशन का काम भी पूरा कर लिया गया है. इस खंड पर चलने वाली रैपिड रेल करीब 180 किमी प्रति घंटे की स्पीड से दौड़ेगी. हालांकि, उत्तर प्रदेश में निकाय चुनावों को लेकर लागू आचार संहिता की वजह से इसका उद्घाटन नहीं किया जा रहा है, लेकिन आचार संहिता हटते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हरी झंडी दिखाकर इसकी शुरुआत करेंगे.
क्या है खासियत
सबसे बड़ी बात यह है कि रैपिड रेल में यात्रियों को चिकित्सा सुविधा भी मुहैया कराई जाएगी. रैपिड रेल की आखिरी बोगी में स्ट्रेचर की भी व्यवस्था की गई है. इसके अलावा, कम लागत पर परिवहन प्रदान करने के लिए मेरठ से दिल्ली रेफर किए जाने वाले मरीजों के लिए एक अलग कोच की व्यवस्था की गई है. डीएमआरसी (दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन) की तरह महिलाओं के लिए अलग कोच की व्यवस्था की गई है और शारीरिक रूप से दिव्यांग यात्रियों के लिए अलग सीट तैयार की गई है. इस्तेमाल नहीं होने पर इन सीटों को मोड़ा जा सकता है.
क्या हैं सुविधाएं
मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक, रैपिड रेल में यात्रियों को मिलने वाली सुविधाओं में मोबाइल पर इंटरनेट चलाने के लिए वाई-फाई, मोबाइल-यूएसबी चार्जर, बड़ी खिड़कियां, इंटीग्रेटेड एसी सिस्टम, ऑटोमैटिक डोर कंट्रोल सिस्टम, लगेज स्टोरेज, ड्राइवर इंटरेक्शन सिस्टम, डायनामिक रूट मैप, सीसीटीवी और इंफोटेनमेंट सिस्टम आदि शामिल हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) कॉरिडोर परियोजना के पीछे मुख्य उद्देश्यों में से एक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भीड़ को कम करना है. रैपिड रेल प्रणाली से वाहनों के आवागमन के खतरे, वायु प्रदूषण को रोकने में मदद मिलेगी और संतुलित क्षेत्रीय विकास सुनिश्चित होगा.
कितना होगा किराया
डीपीआर के एक अनुमान के अनुसार, रैपिड रेल में किराया करीब 2 रुपये प्रति किमी होगा. बाद में किराया बढ़ाने का अधिकार प्राइवेट एजेंसी को नहीं होगा. मेट्रो की तरह किराया कमेटी ही तय करेगी, जो जज की अध्यक्षता में बनती है. दिल्ली मेट्रो की सात लाइनों पर रैपिड लाइन की कनेक्टिविटी होगी. इसे मुनिरका, आईएनए और एरोसिटी स्टेशनों से जोड़ा जाएगा.
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