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Ratan Tata Birthday: बचपन से बुढ़ापे तक अकेले रतन टाटा, इस तरह टाटा ग्रुप को बुलंदियों पर पहुंचाया

Ratan Tata Birthday: रतन टाटा का बचपन अकेलेपन में बीता था. उनके माता-पिता के बीच अनबन की वजह से उनकी दादी ने उनका पालन-पोषण किया. बड़े हुए, तो उन्हें प्यार तो हुआ, लेकिन शादी न कर सके. अकेलेपन का दर्द आज भी रतन टाटा को टीसता रहता है.

Ratan Tata Birthday: भारत के सबसे सम्मानित उद्योगपतियों में शुमार टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा आज यानी 28 दिसंबर 2022 को 85 साल के हो गये. वर्ष 1937 में गुजरात के औद्योगिक घराने में जन्मे रतन टाटा का बचपन अकेलेपन में बीता. बिजनेस की दुनिया में वह चाहे जितने सफल और लोगों से घिरे हों, लेकिन निजी जिंदगी में वे बेहद अकेले हैं. बचपन से बुढ़ापे तक अकेले रहे.

प्यार हुआ, लेकिन शादी न कर सके रतन टाटा

भारत के घर-घर में टाटा समूह (Tata Group) की इंट्री करवाने वाले रतन टाटा की जिंदगी में एक महिला आयी थी. लेकिन, वह उसे अपना जीवन साथी न बना सके. बता दें कि रतन टाटा का बचपन अकेलेपन में बीता था. उनके माता-पिता के बीच अनबन की वजह से उनकी दादी ने उनका पालन-पोषण किया. बड़े हुए, तो उन्हें प्यार तो हुआ, लेकिन शादी न कर सके. अकेलेपन का दर्द आज भी रतन टाटा को टीसता रहता है.

आप नहीं जानते कि अकेले रहना कैसा होता है: रतन टाटा

एक बार रतन टाटा ने खुद अपने अकेलेपन का दर्द बयां किया था. उन्होंने कहा था, ‘आप नहीं जानते कि अकेले रहना कैसा होता है? जब तक आप अकेले समय बिताने के लिए मजबूर नहीं होते, तब तक यह एहसास नहीं होगा. जब तक आप सचमुच में बूढ़े नहीं हो जाते, तब तक किसी को भी बूढ़ा होने का मन नहीं करता.’

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भारत-चीन युद्ध की वजह से नहीं कर पाये शादी

उल्लेखनीय है कि रतन टाटा की अब तक शादी नहीं हुई. एक बार उन्हें भी प्यार हुआ था. लॉस एंजिल्स में. रतन टाटा अपनी प्रेमिका के साथ विवाह बंधन में बंधने ही वाले थे कि उन्हें भारत लौटना पड़ा. उनकी दादी बेहद बीमार थीं. रतन टाटा को लगा कि उनके प्यार में उनकी प्रेमिका भारत तक आ जायेगी. लेकिन वर्ष 1962 में भारत-चीन की लड़ाई की वजह से उनके माता-पिता ने उसे भारत आने की इजाजत नहीं दी. इसलिए दोनों का प्रेम अधूरा रह गया.

1991 में संभाली टाटा समूह की कमान

रतन टाटा ने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से वर्ष 1959 में आर्किटेक्चर एंड स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की थी. अपने पारिवारिक के किसी कारोबार में उन्होंने कोई अहम पद नहीं संभाला. एक कर्मचारी के रूप में अपनी कंपनी की एक यूनिट में काम किया और सारी बारीकियां सीखीं. टाटा स्टील की कमान संभालने से पहले रतन टाटा ने 70 के दशक में Tata Steel जमशेदपुर में काम किया. इसके बाद वह मैनेजमेंट में शामिल हुए और घरेलू कारोबार को आसमान की बुलंदियों पर पहुंचा दिया. वर्ष 1991 में रतन टाटा इस प्रतिष्ठित व्यापारिक घराने की कमान संभाली.

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