Ratan Tata: नहीं रहे रतन टाटा,जानिए उनकी जीवनी

Ratan Tata: रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में हुआ था. वे भारत के प्रमुख उद्योगपतियों में से एक थे. जिन्होंने टाटा ग्रुप का नेतृत्व किया. वे भारत के सबसे सफल और सम्मानित उद्योगपतियों में से एक थे। उन्होंने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर में डिग्री हासिल की और 1961 में टाटा ग्रुप में शामिल हुए.

By Abhishek Pandey | October 10, 2024 1:42 AM

Ratan Tata: मशहूर उद्योगपति और टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का 86 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. वे लंबे समय से बीमार थे और मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में ICU में भर्ती थे. टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने उनके निधन की पुष्टि की और उन्हें “मित्र और मार्गदर्शक” बताया.

एन. चंद्रशेखरन का बयान

टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने उनके निधन पर बयान जारी कर कहा है “हम रतन नवल टाटा को बहुत ही गहरे दुख के साथ विदाई दे रहे हैं, जो वास्तव में एक असाधारण नेता थे, जिनके अतुल्य योगदान ने न केवल टाटा समूह को बल्कि हमारे राष्ट्र के ताने-बाने को भी आकार दिया है. टाटा समूह के लिए, श्री टाटा एक चेयरमैन से कहीं बढ़कर थे. मेरे लिए, वे एक गुरु, मार्गदर्शक और मित्र थे. उन्होंने उदाहरण के द्वारा प्रेरणा दी. उत्कृष्टता, अखंडता और नवाचार के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के साथ, उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने अपने नैतिक मानदंडों के प्रति हमेशा सच्चे रहते हुए अपने वैश्विक पदचिह्न का विस्तार किया. श्री टाटा के परोपकार और समाज के विकास के प्रति समर्पण ने लाखों लोगों के जीवन को छुआ है. शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य सेवा तक, उनकी पहल ने एक गहरी छाप छोड़ी है, जो आने वाली पीढ़ियों को लाभान्वित करेगी. इस सभी कार्य को सुदृढ़ बनाने में श्री टाटा की हर व्यक्तिगत बातचीत में उनकी वास्तविक विनम्रता थी. पूरे टाटा परिवार की ओर से, मैं उनके प्रियजनों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं. उनकी विरासत हमें प्रेरित करती रहेगी क्योंकि हम उन सिद्धांतों को बनाए रखने का प्रयास करते हैं जिनका उन्होंने इतने जुनून से समर्थन किया.

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राष्ट्रपति मुर्मू ने बताया राष्ट्र निर्माण और नैतिकता के साथ उत्कृष्टता का मिश्रण

 भारत ने एक ऐसे आइकॉन को खो दिया है, जिन्होंने कॉरपोरेट ग्रोथ के साथ राष्ट्र निर्माण और नैतिकता के साथ उत्कृष्टता का मिश्रण किया. पद्म विभूषण और पद्म भूषण से सम्मानित रतन टाटा ने टाटा ग्रुप की विरासत को आगे बढ़ाया है.​

पीएम मोदी ने जताया शोक

“श्री रतन टाटा जी एक दूरदर्शी बिजनेस लीडर थे. एक दयावान आत्मा और असाधारण व्यक्तित्व. उन्होंने भारत के एक सबसे पुराने और प्रतिष्ठित व्यापार घराने को स्थायी नेतृत्व दिया. इसके साथ ही उनका योगदान बोर्डरूम में शामिल होने से कहीं ज्यादा रहा. उनके दयालु स्वभाव, नम्रता और हमारे समाज को बेहतर बनाने के प्रति अपनी मजबूत प्रतिबद्धता के चलते उन्हें लोगों का बहुत प्यार मिला.”

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी टाटा को याद किया

उन्होंने एक्स पर लिखा कि “रतन टाटा एक दूरदर्शी व्यक्ति थे. उन्होंने बिजनेस और परोपकार, दोनों पर अमिट छाप छोड़ी है. उनके परिवार और टाटा समुदाय के प्रति मेरी संवेदनाएं.”

RPG ग्रुप के चेयरमैन हर्ष गोयनका ने भी  पर रतन टाटा को याद किया 

“घड़ी ने टिक-टिक करना बंद कर दिया है. दिग्गज का निधन हो गया. रतन टाटा ईमानदारी, नैतिक नेतृत्व और परोपकार के प्रतीक थे. उन्होंने व्यापार जगत और उससे परे एक अमिट छाप छोड़ी है. वो हमेशा हमारी यादों में रहेंगे.”

आनंद महिंद्रा ने X पर लिखा

“मैं रतन टाटा की अनुपस्थिति को स्वीकार नहीं कर पा रहा हूं. भारत की अर्थव्यवस्था ऐतिहासिक छलांग लगाने के कगार पर खड़ी है, और रतन के जीवन और कार्य का हमारे इस स्थिति में होने में बहुत योगदान है. इसलिए, इस समय उनका मार्गदर्शन अमूल्य रहा होगा. उनके जाने के बाद, हम बस यही कर सकते हैं कि उनके उदाहरण का अनुसरण करने के लिए प्रतिबद्ध हों. वो एक ऐसे व्यवसायी थे जिनके लिए वित्तीय संपत्ति और सफलता सबसे उपयोगी तब थी जब इसे वैश्विक समुदाय की सेवा में लगाया जाता था. अलविदा. आपको भुलाया नहीं जाएगा. लीजेंड कभी नहीं मरते. ओम शांति.”

गौतम अदाणी महान और दूरदर्शी बताया 

भारत ने एक महान और दूरदर्शी व्यक्ति खो दिया है. टाटा ने मॉडर्न इंडिया के पाथ को रिडिफाइन किया. टाटा सिर्फ एक बिजनेस लीडर नहीं थे, उन्होंने करुणा के साथ भारत की भावना को मूर्त रूप दिया.

रतन टाटा की जीवन यात्रा

रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में हुआ था. उन्होंने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर में डिग्री प्राप्त की और 1961 में टाटा ग्रुप में शामिल हुए. टाटा ग्रुप के चेयरमैन के रूप में, उन्होंने कई सफल कंपनियों की स्थापना की और टाटा ग्रुप को वैश्विक स्तर पर पहुंचाया.

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पद्म विभूषण से सम्मानित

रतन टाटा को उनके नेतृत्व और सामाजिक जिम्मेदारी के लिए कई पुरस्कार मिले, जिनमें भारत का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्म विभूषण शामिल है. उनके नेतृत्व में, टाटा समूह ने नैतिकता और उत्कृष्टता के साथ अपने व्यवसाय का विस्तार किया.

रतन टाटा की विरासत

रतन टाटा ने अपने करियर के दौरान टाटा ग्रुप को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया. उनके नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने वैश्विक पहचान बनाई और सामाजिक दायित्वों को भी महत्व दिया. उनके निधन के बाद, टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने कहा, “रतन टाटा की विरासत हमें हमेशा प्रेरित करती रहेगी.”

रतन टाटा का जाना भारत के लिए अपूरणीय क्षति : रघुवर दास

ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास ने कहा कि देश के रत्न, उद्योगपति और संवेदनशील व्यक्ति, टाटा संस के चेयरमैन एमेरिटस रतन टाटा के निधन की खबर से स्तब्ध हूं, दुखी हूं. उनका जाना न केवल उद्योग जगत, बल्कि संपूर्ण भारत के लिए अपूरणीय क्षति है. उनके कुशल नेतृत्व में टाटा ग्रुप की कंपनियों ने देश के विकास में अहम योगदान दिया. देश की अर्थव्यवस्था, व्यापार और उद्योग को गति देने के साथ ही युवा उद्यमियों को भी उन्होंने काफी बढ़ावा दिया. राष्ट्र सेवा में उनके अमूल्य योगदान के लिए देश सदैव उनका ऋणी रहेगा. महाप्रभु जगन्नाथ उनको अपने निजधाम में स्थान दें. उनके परिजनों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करता हूं.

 रतन टाटा का जाना भारतीय उद्योग जगत के लिए बड़ी क्षति : डा.अजय

पूर्व सांसद सह कांग्रेस के वरीय नेता डा. अजय कुमार ने टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष रतन नवल टाटा के निधन पर गहरा शोक संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि यह भारतीय उद्योग जगत के अपूर्णीय क्षति है. जमशेदपुर के विकास में रतन टाटा का बड़ा योगदान है. रतन टाटा ने टाटा समूह को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने में महत्ती भूमिका निभायी थी. उन्होंने अपने सामाजिक दायित्व का निर्वहन करते हुए अन्य उद्योग समूहों के लिए एक मानक स्थापित किया. कोरोना के समय में रतन टाटा ने बड़ा दिल दिखाते हुए देश के लोगों के बेहतरी के 1500 करोड़ रुपये खर्च किए थे. ईश्वर उनको अपने श्रीचरणों में स्थान दे. उनकी आत्मा को शांतिप्रदान करें.

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