2008 की महामंदी में इस यूनिवर्सिटी को 50 मिलियन डॉलर दान में दिए थे रतन टाटा, बने दुनिया के सबसे बड़े परोपकारी

Ratan Tata Biggest Donor: रतन टाटा का अमेरिका के न्यू यॉर्क स्थित कॉर्नेवल यूनिवर्सिटी से गहरा नाता है. दरअसल, रतन टाटा ने आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई मुंबई के कैंपियन स्कूल से की. इसके बाद उन्होंने इसी शहर के कैथेड्रल और जॉन कॉनन स्कूल, शिमला के बिशप कॉटन स्कूल से पढ़ाई की.

By KumarVishwat Sen | October 10, 2024 11:51 AM

Ratan Tata Biggest Donor: देश के सबसे बड़े परोपकारी उद्योगपति रतन नवल टाटा अब हमारे बीच नहीं रहे. बुधवार यानी 9 अक्टूबर 2024 की देर रात मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल रतन टाटा ने अंतिम सांस ली. रतन टाटा को अपने देश, अपने शैक्षिणक संस्थान, देश के युवा और अपने कारोबार से काफी लगाव था. देश के युवाओं को कारोबार की दुनिया में लाने के लिए रतन टाटा स्टार्टअप्स में निवेश करके नौजवान उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के साथ आर्थिक मदद किया करते थे. इतना ही नहीं, उन्हें शिक्षा से भी काफी लगाव था. वे देश के भविष्य को उज्ज्वल बनाने के लिए शिक्षा संस्थानों को भी दान दिया करते थे. साल 2008 में पूरी दुनिया में महामंदी का दौर चल रहा था. इस महामंदी के दौर में भी रतन टाटा ने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी को करीब 50 मिलियन डॉलर दान में दिया था. उनके द्वारा उस समय दिया गया यह दान दुनिया का सबसे बड़ा दान बन गया था.

कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से रतन टाटा का कैसा था नाता

रतन टाटा का अमेरिका के न्यू यॉर्क स्थित कॉर्नेवल यूनिवर्सिटी से गहरा नाता है. दरअसल, रतन टाटा ने आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई मुंबई के कैंपियन स्कूल से की. इसके बाद उन्होंने इसी शहर के कैथेड्रल और जॉन कॉनन स्कूल, शिमला के बिशप कॉटन स्कूल से पढ़ाई की. स्कूली पढ़ाई खत्म करने के बाद रतन टाटा न्यू यॉर्क चले गए और वहां पर उन्होंने रिवरडेल कंट्री स्कूल से वर्ष 1955 में स्नातक की उपाधि प्राप्त की. स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद रतन टाटा ने आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया, जहां से उन्होंने 1959 में वास्तुकला में स्नातक की डिग्री हासिल की. यही वजह है कि जब दुनिया में महामंदी का दौर चल रहा था, तब रतन टाटा ने वर्ष 2008 में कॉर्नेल यूनिवर्सिटी को करीब 50 मिलियन डॉलर का दान दिया था, जो उस यूनिवर्सिटी के इतिहास में सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय दान बन गया. इसके अलावा, रतन टाटा ऐसे परोकारी व्यक्ति हैं, जिन्होंने अपनी आमदनी का करीब 60 से 65 फीसदी हिस्सा दान में दे दिया.

रतन टाटा ने स्टार्टअप में निवेश कर युवा उद्यमियों को किया प्रोत्साहित

रतन टाटा एक दिग्गज उद्योगपति और परोपकारी होने के साथ-साथ बड़े निवेशक भी थे. उन्होंने देश-विदेश के कई स्टार्टअप्स में कई निवेश किए हैं. खासकर, देश के युवा उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के प्रति उनकी दिलचस्पी अधिक थी. रतन टाटा ने करीब 30 से अधिक स्टार्ट-अप में निवेश किया. इनमें से अधिकांश अपनी व्यक्तिगत क्षमता से और कुछ अपनी कंपनी के माध्यम से निवेश किया.

नवोन्मेष और नवाचार को प्राथमिकता देते थे रतन टाटा

रतन टाटा नवोन्मेष और नवाचार को हमेशा प्राथमिकता देते थे. उन्होंने न केवल टाटा ग्रुप की कंपनियों में बल्कि स्टार्टअप्स में निवेश के जरिए युवा प्रतिभाओं को कई जिम्मेदारियां सौंपीं. उनके नेतृत्व में सहायक कंपनियों के बीच ओवरलैपिंग संचालन को कंपनी-व्यापी संचालन में सुव्यवस्थित किया गया.

1991 से 2012 तक टाटा संस के रहे चेयरमैन

रतन नवल टाटा 1991 से 28 दिसंबर 2012 को अपनी सेवानिवृत्ति तक टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस के अध्यक्ष बने रहे. उनके कार्यकाल के दौरान टाटा ग्रुप का रिवेन्य कई गुना बढ़ गया, जो 2011-12 में कुल 100 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया. सेवानिवृत्ति के बाद रतन टाटा को टाटा संस, टाटा इंडस्ट्रीज, टाटा मोटर्स, टाटा स्टील और टाटा केमिकल्स के मानद चेयरमैन की उपाधि से सम्मानित किया गया है.

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टाटा ग्रुप की इन कंपनियों की संभाली जिम्मेदारी

रतन टाटा टाटा ग्रुप की कई प्रमुख कंपनियों के भी अध्यक्ष रहे. इनमें टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, टाटा पावर, टाटा ग्लोबल बेवरेजेज, टाटा केमिकल्स, इंडियन होटल्स और टाटा टेलीसर्विसेज शामिल हैं. वे भारत और विदेशों में विभिन्न संगठनों से भी जुड़े हुए हैं. वे मित्सुबिशी कॉरपोरेशन और जेपी मॉर्गन चेज के अंतरराष्ट्रीय सलाहकार बोर्ड में शामिल हैं. इसके अलावा, वे सर रतन टाटा ट्रस्ट एंड एलाइड ट्रस्ट, सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट एंड एलाइड ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं. वह टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के प्रबंधन परिषद के अध्यक्ष हैं. वह कॉर्नेल विश्वविद्यालय और दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के न्यासी बोर्ड में भी कार्य करते हैं.

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रतन टाटा का कब हुआ जन्म

रतन नवल टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को गुजरात के सूरत में हुआ. उनके पिता का नाम नवल टाटा है. रतन टाटा जब 11 साल के हुए तो वर्ष 1948 में उनके माता-पिता एक-दूसरे से अलग हो गए. इसके बाद उनके पिता नवल टाटा ने सिमोन से शादी कर ली, जिससे उनके दो भाई जिमी और नोएल टाटा हुए. मां से अलग होने के बाद टाटा समूह के तत्कालीन प्रमुख होर्मुसजी टाटा ने रतन टाटा को गोद ले लिया और बाद में उनकी पत्नी नवाजबाई टाटा ने उनका लालन-पोषण किया.

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