सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद भावुक हुए रतन टाटा, ट्विटर पर लिखी बड़ी बात…

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एनसीएलएटी के 18 दिसंबर 2019 के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें सायरस मिस्त्री को ‘टाटा ग्रुप' का दोबारा कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त करने का आदेश दिया गया था. मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने टाटा समूह की अपील को स्वीकार किया.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 26, 2021 1:30 PM

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट से सायरस मिस्त्री के टाटा ग्रुप के कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किए जाने के एनसीएलटी का आदेश रद्द करने के फैसले आने के बाद टाटा ग्रुप के अंतरिम चेयरमैन रतन टाटा भावुक हो गए. माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि आज सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए फैसले की मैं सराहना करता हूं. मैं उनका आभारी हूं.

उन्होंने अपने ट्वीट में आगे लिखा है कि यह हार या जीत का मसला नहीं है. मेरे ग्रुप की ईमानदारी और नैतिकता को लेकर लगातार हमले किए गए. यह फैसला इस बात को साबित करता है कि टाटा संस अपने सिद्धांतों और मूल्यों पर हमेशा अडिग रहता है. उन्होंने यह भी लिखा है कि यह हमारी न्यायपालिका की निष्पक्षता और पारदर्शिता को प्रदर्शित करता है.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एनसीएलएटी के 18 दिसंबर 2019 के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें सायरस मिस्त्री को ‘टाटा ग्रुप’ का दोबारा कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त करने का आदेश दिया गया था. मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने टाटा समूह की अपील को स्वीकार किया. पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘राष्ट्रीय कंपनी लॉ अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के 18 दिसंबर 2019 के आदेश को रद्द किया जाता है.’

टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड और साइरस इन्वेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड ने राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के फैसले के खिलाफ क्रॉस अपील दायर की थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश में आगे कहा गया है कि टाटा समूह की अपील को स्वीकार किया जाता है और एसपी समूह की अपील खारिज की जाती है.

एनसीएलएटी ने अपने आदेश में 100 अरब डॉलर के टाटा समूह में साइरस मिस्त्री मिस्त्री को कार्यकारी चेयरमैन पद पर बहाल कर दिया था. शापूरजी पालोनजी (एसपी) ग्रुप ने 17 दिसंबर को कोर्ट से कहा था कि अक्टूबर 2016 को हुई बोर्ड की बैठक में मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाना ‘खूनी खेल’ और ‘घात’ लगाकर किया गया हमला था. यह कंपनी संचालन के सिद्धान्तों के खिलाफ था. वहीं, टाटा ग्रुप ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि इसमें कुछ भी गलत नहीं था और बोर्ड ने अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए मिस्त्री को पद से हटाया था.

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Posted by : Vishwat Sen

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