एयर इंडिया को नई उड़ान देकर रतन टाटा ने अपने सपने को किया था साकार, पढ़ें पूरी कहानी

Ratan Tata: साल 1932 में जेआरडी टाटा ने टाटा एयरलाइन की स्थापना की थी. सरकार ने बाद में उसका नेशनलाइजेशन कर उसे एयर इंडिया का नाम दिया था. रतन टाटा ने एयर इंडिया को फिर से टाटा ग्रुप के नेतृत्व में लाने के लिए दशकों तक इंतजार किया.

By KumarVishwat Sen | November 29, 2024 8:02 PM

Ratan Tata: आर्किटेक्ट की पढ़ाई करने के बाद भी देश के दिग्गज उद्योगपति दिवंगत रतन टाटा का सपना जहाज उड़ाने का था. जहाज उड़ाना उनका सपना होने के साथ-साथ जुनून भी था. कई मौकों पर वे जेट उड़ाते देखे भी गए. विमानन कंपनी एयर इंडिया कभी टाटा ग्रुप की हिस्सा थी, जिसे बाद में सरकार ने खरीद लिया था. रतन टाटा ने दशकों के अथक प्रयास के बाद एयर इंडिया को दोबारा टाटा ग्रुप के नियंत्रण में लाकर अपने सपने को न केवल साकार किया, बल्कि उसे अंजाम तक पहुंचाया.

जनवरी 2022 में एयर इंडिया की हुई घरवापसी

दि प्रिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार, टाटा संस के पूर्व मानद चेयरमैन रतन टाटा ने कई पैसेंजर और फाइटर प्लेन उड़ाए, लेकिन एयर इंडिया को टाटा ग्रुप में घरवापसी कराने के बाद दोबारा परवाज देने की उनकी मंशा जनवरी, 2022 में पूरी हो पाई. उसी समय टाटा ग्रुप ने एयर इंडिया का नियंत्रण सरकार से अपने हाथों में लिया था. इसके साथ ही कभी टाटा ग्रुप की ही एयरलाइन रही एयर इंडिया की घरवापसी हो गई. इसे अंजाम देने में रतन टाटा के डायरेक्शन की भूमिका अहम रही थी.

विस्तारा और एआईएक्स कनेक्ट का एयर इंडिया में विलय

रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले ढाई सालों में एयर इंडिया को फिर से रफ्तार देने के लिए टाटा प्रबंधन ने कई प्रयास किए. इस दौरान टाटा ग्रुप ने अपना विमानन कारोबार को नए सिरे से पुनर्गठित करने की पहल की. इस सिलसिले में विस्तारा का एयर इंडिया में विलय भी हो गया. इसके पहले एआईएक्स कनेक्ट (पुरानी एयरएशिया इंडिया) का एयर इंडिया एक्सप्रेस के साथ विलय पूरा हो चुका है. रतन टाटा ने एयर इंडिया का अधिग्रहण पूरा होने के बाद अपने एक मैसेज में कहा था, ‘‘टाटा ग्रुप पैसेंजर्स की सुविधा और सर्विस के मामले में एयर इंडिया को पसंदीदा एयरलाइन बनाने के लिए मिलकर काम करने के लिए उत्साहित है.’’

1932 में जेआरडी टाटा ने की थी टाटा एयरलाइन की स्थापना

रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 1932 में जेआरडी टाटा ने टाटा एयरलाइन की स्थापना की थी. हालांकि, सरकार ने बाद में उसका नेशनलाइजेशन कर उसे एयर इंडिया का नाम दिया था. धीरे-धीरे एयर इंडिया आर्थिक मुश्किलों में घिरती चली गई और सरकार ने उसका विनिवेश करने का फैसला किया. रतन टाटा ने एयर इंडिया को फिर से टाटा ग्रुप के नेतृत्व में लाने के लिए दशकों तक इंतजार किया. उन्होंने इस मौके का पूरा फायदा उठाया.

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एयर इंडिया को नई ऊंचाइयों पर ले जाना चाहते थे रतन टाटा

जेआरडी टाटा के नेतृत्व में एयर इंडिया एक समय दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित एयरलाइंस में शुमार होती थी. रतन टाटा अपनी एयरलाइन को फिर से उसी प्रतिष्ठा और छवि के स्तर पर ले जाना चाहते थे. अब शायद वह आसमान से इसे नई ऊंचाइयों को हासिल करते हुए देखेंगे.

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