साइबर क्रिमनलों पर RBI कसेगा नकेल, बैंकों को दिया पुराने खातों को बंद करने का निर्देश
RBI: आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने डिजिटल क्रिमिनलों पर रोक लगाने के लिए दिशा निर्देश जारी किए. इस निर्देश में उन्होंने म्यूल अकाउंट्स को बंद करने पर चर्चा की.
RBI: भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांतदास ने बुधवार को एक मीटिंग में म्यूल अकाउंट्स को बंद करने के लिए बैंको को निर्देश दिया है. म्यूल अकाउंट ऐसे बैंक खाते है जिसके जरिए अनैतिक रुप से कमाए गए पैसों इधर उधर किया जाता है. यह कदम डिजिटल धोखाधड़ी को रोकने के लिए उठाया गया है. इस बैठक में सार्वजनिक और निश्चित के बैंकों के प्रबंधक निर्देशक और सीईओ शामिल थे. गवर्नर ने डिजिटल फ्रॉड को रोकने के लिए बैंकों से ग्राहकों के लिए जागरूकता बढ़ाने के अभियान को तेज करने को कहा है. शक्तिकांत दास ने बैंकों को मजबूत साइबर सिक्योरिटी कंट्रोल सुनिश्चित करने और थर्ड पार्टी से बचने के तरीके पर भी चर्चा की.
म्यूल अकाउंट्स को बंद करने की जरूरत क्यों?
म्यूल अकाउंट वह बैंक खाते होते हैं जिनका इस्तेमाल अनैतिक रूप से कमाए गए धन को एकत्र करने या उसे ट्रांसफर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. साइबर अपराधी कभी-कभी लोगों को लालच देकर यह धमका कर इन खातों को खुलवाने के लिए मना लेते हैं. ऐसे में इन अपराधियों पर रोकथाम लगाने के लिए गवर्नर ने यह निर्देश जारी किया है. म्यूल अकाउंट्स बैंकिंग प्रणाली में गड़बड़ी पैदा करते हैं जिसके द्वारा धोखाधड़ी करने वाले लोग अवैध तरीके से यह धन राशि इधर से उधर कर लेते हैं. इन खातों पर नजर रखने से डिजिटल धोखाधड़ी अरे मनी लॉन्ड्रिंग जैसे मामलों को कम किया जा सकता है.
किन अन्य मुद्दों पर हुई चर्चा
बैंकों द्वारा क्रेडिट और डिपॉजिट ग्रोथ में अंतर को कम करने की बात की गई. साथ ही व्यक्तिगत लोन और क्रेडिट कार्ड जैसे बिना गारंटी वाले ऋणों में बढ़ोतरी पर चर्चा हुई. डिजिटल लेनदेन में वृद्धि के साथ ही साइबर खतरों से बचने के उपायों पर निर्देश दिए गए. दास ने बैंकों द्वारा नगदी प्रबंधन पर भी बात की ताकि वह ग्राहकों की मांगों को पूरा कर सके. छोटे और मध्यम वर्गी उद्यमों तक लोन पहुंच में सुधार करने पर भी चर्चा की गई. बता दे की डिजिटल बैंकिंग और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए आरबीआई के प्रयासों में बैंकों की भागीदारी को भी बढ़ाने की बात की हुई. साथ ही बैठक में अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौते में उन मुद्राओं के बजाय भारत रूपों के उपयोग क्यों बढ़ाने की बात रखी गई. बैंकों और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के बीच सह ऋण देने के लिए निश्चित दिशा निर्देशों का पालन के लिए जोर डाला गया ताकि वह बैंकों के एनबीएफसी क्षेत्र को दिए गए ऋणों से जुड़े जोखिमों का आकलन कर सके.
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