RBI के बॉन्ड में आप पा सकते हैं एफडी से ज्यादा ब्याज, जानिये कैसे
आरबीआइ बॉन्ड इन दिनों सुर्खियों में है. वजह है इसकी ब्याज दर, जिसमें केंद्र सरकार ने कोई बदलाव न कर जनवरी से जून, 2021 तक के लिए पहले की तरह ही बरकरार रखा है. इसकी ब्याज दर सभी सरकारी व प्राइवेट बैंकों की एफडी से ज्यादा है.
आरबीआइ बॉन्ड इन दिनों सुर्खियों में है. वजह है इसकी ब्याज दर, जिसमें केंद्र सरकार ने कोई बदलाव न कर जनवरी से जून, 2021 तक के लिए पहले की तरह ही बरकरार रखा है. इसकी ब्याज दर सभी सरकारी व प्राइवेट बैंकों की एफडी से ज्यादा है. इसमें निवेश कर आप 7.15 फीसदी की दर से ब्याज हासिल कर सकते हैं, जबकि देश के सभी प्रमुख बैंक एफडी पर 4 से 6 फीसदी की दर से ब्याज देते हैं.
क्या है आरबीआइ बॉन्ड : गवर्नमेंट ऑफ इंडिया सेविंग्स बॉन्ड को आरबीआइ बॉन्ड कहते हैं. यह फ्लोटिंग रेट सेविंग बॉन्ड है, जिसमें कोई भी भारतीय नागरिक निवेश कर सकता है. आप अभिभावक के तौर पर नाबालिग के नाम से भी इस बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं. आप संयुक्त तौर पर भी बॉन्ड्स के लिए आवेदन कर सकते हैं. इस बॉन्ड में निवेश का लॉक-इन पीरियड 7 साल का है, यानी आप इस अवधि तक पैसा नहीं निकाल सकते. हालांकि वरिष्ठ नागरिकों को 4 साल के बाद प्रीमैच्योर एग्जिट का विकल्प मिलता है, लेकिन प्रीमैच्योर एग्जिट पर कुछ कटौती की जाती है.
जानें खरीदने की प्रक्रिया : निवेशक आरबीआइ बॉन्ड को स्टेट बैंक समेत किसी भी सरकारी बैंक या फिर आइसीआइसीआइ, आइडीबीआइ, एचडीएफसी या एक्सिस जैसे प्राइवेट बैंक से खरीद सकते हैं. इस बॉन्ड पर छमाही आधार पर ब्याज का भुगतान किया जाता है. आरबीआइ बॉन्ड में कम से कम 1000 रुपये से निवेश की शुरुआत कर सकते हैं, लेकिन अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है.
इस बॉन्ड को केवल इलेक्ट्रॉनिक रूप में खरीदने की इजाजत है. निवेशक चाहें तो नकदी में भी इन्हें खरीद सकते हैं, लेकिन उसकी अधिकतम सीमा 20 हजार रुपये है. सरकार ने जून, 2021 तक आरबीआइ बॉन्ड की ब्याज दर 7.15 फीसदी रखने की घोषणा की है, लेकिन हर 6 महीने पर इसकी ब्याज दरों की समीक्षा की जाती है. आरबीआइ बॉन्ड को नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट के साथ जोड़ा गया है.
अन्य अहम जानकारियां : इस बाॅन्ड पर मिलने वाला ब्याज टैक्सेबल है. आप जिस इनकम टैक्स स्लैब में आयेंगे, उसी के अनुसार टैक्स देना होगा. इसके अलावा ब्याज आय पर टीडीएस भी लागू होगा. निवेशक के लिए यह जानना भी जरूरी है कि यह बाॅन्ड ट्रांसफरेबल नहीं होता है. सिर्फ निवेशक की मौत के बाद ही नॉमिनी के नाम पर यह ट्रांसफर हो सकता है. इन बॉन्डों की ट्रेडिंग शेयर बाजार में नहीं की जा सकती. न ही निवेशक इन पर बैंक, वित्तीय संस्थान, एनबीएफसी आदि से लोन ले सकते हैं.
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Posted by: Pritish Sahay
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