RBI: डिटिजल पेमेंट में होने वाला है बड़ा बदलाव, रिजर्व बैंक के गवर्नर ने बतायी ये बात

RBI: इंटरनेट बैंकिंग ऑनलाइन भुगतान लेनदेन के सबसे पुराने तरीकों में से एक है और यह आयकर, बीमा प्रीमियम, म्यूचुअल फंड भुगतान और ई-कॉमर्स जैसे भुगतानों के लिए एक पसंदीदा तरीका है. फिलहाल इस तरह के लेनदेन भुगतान ‘एग्रीगेटर’ (पीए) के माध्यम से संपन्न होते हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 7, 2024 8:39 AM

RBI: अगर आप भी इंटरनेट बैंकिग का इस्तेमाल करते हैं तो आपके लिए एक अच्छी खबर है. बैंकिंग में एक बड़ा सकारात्मक बदलाव आने वाला है. भारतीय रिजर्व बैंक ने इंटरनेट बैंकिंग में इंटरऑपरेबल पेमेंट सिस्टम (Interoperable Payment System) लाने की मंजूरी दे दी है. बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि इंटरनेट बैंकिंग की सुगम भुगतान प्रणाली की 2024 में शुरुआत होने की संभावना है जिससे कारोबारियों को लेनदेन के फौरन निपटान की सुविधा मिल सकेगी. इंटरनेट बैंकिंग ऑनलाइन भुगतान लेनदेन के सबसे पुराने तरीकों में से एक है और यह आयकर, बीमा प्रीमियम, म्यूचुअल फंड भुगतान और ई-कॉमर्स जैसे भुगतानों के लिए एक पसंदीदा तरीका है. फिलहाल इस तरह के लेनदेन भुगतान ‘एग्रीगेटर’ (पीए) के माध्यम से संपन्न होते हैं. लेकिन इस लेनदेन में एक बैंक को अलग-अलग ऑनलाइन मंचों के हरेक भुगतान एग्रीगेटर के साथ अलग से संबद्ध होने की जरूरत होती है.

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क्या है पेमेंट ‘एग्रीगेटर’

भुगतान ‘एग्रीगेटर’ एक तृतीय-पक्ष सेवा प्रदाता है जो ग्राहकों को ऑनलाइन भुगतान स्वीकार करने और व्यवसायों को भुगतान स्वीकार करने में सक्षम बनाता है. केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने यहां डिजिटल भुगतान जागरूकता सप्ताह समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि कई भुगतान एग्रीगेटर के होने से एक बैंक के लिए हरेक पीए के साथ एकीकृत होना मुश्किल होता है. इसके अलावा, एक भुगतान प्रणाली के अभाव और ऐसे लेनदेन के लिए अलग नियम होने से व्यापारियों को भुगतान की राशि खाते में आने में देरी होती है और निपटान जोखिम भी बना रहता है. इन बाधाओं को ध्यान में रखते हुए, RBI के भुगतान दृष्टिकोण 2025′ में इंटरनेट बैंकिंग लेनदेन के लिए एक अंतर-संचालनीय भुगतान प्रणाली की परिकल्पना की गई थी. इसके लिए आरबीआई ने एनपीसीआई भारत बिलपे लिमिटेड (एनबीबीएल) को ऐसी प्रणाली लागू करने की मंजूरी दी थी.

कारोबारियों को पेमेंट में मिलेगी मदद

RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि हमें चालू कैलेंडर वर्ष के दौरान इंटरनेट बैंकिंग के लिए यह भुगतान प्रणाली शुरू होने की उम्मीद है. नई प्रणाली से कारोबारियों को धन के त्वरित निपटान की सुविधा होगी. इस उपाय से डिजिटल भुगतान में उपयोगकर्ताओं का भरोसा बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि देश की प्रमुख भुगतान प्रणाली ‘यूपीआई’ न केवल भारत बल्कि दुनिया भर में सबसे अधिक चर्चित त्वरित भुगतान प्रणाली बन गई है. डिजिटल भुगतान में यूपीआई की हिस्सेदारी 2023 में 80 प्रतिशत के करीब पहुंच गई. वृहद स्तर पर, यूपीआई लेनदेन की संख्या कैलेंडर वर्ष 2017 के 43 करोड़ से बढ़कर 2023 में 11,761 करोड़ हो गई. यूपीआई के जरिये एक दिन में लगभग 42 करोड़ लेनदेन किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि डिजिटल भुगतान में भरोसा पारदर्शिता, इस्तेमाल में आसानी और सबसे बढ़कर सुरक्षा के दम पर पैदा हुआ है. ऐसे में भुगतान प्रणाली की सुरक्षा और सुरक्षा की धारणा को मजबूत करना बहुत महत्वपूर्ण है.
(भाषा इनपुट के साथ)

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