RBI : सोमवार को आई भारतीय रिजर्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में देश में डेटा चोरी के मामले और बढ़ेंगे. फिशिंग साइबर अपराधियों का इस्तेमाल किया जाने वाला सबसे लोकप्रिय तरीका है, जो रिपोर्ट किए गए मामलों में 22% के लिए जिम्मेदार है. यह रिपोर्ट डेटा चोरी की घटनाओं में चिंताजनक वृद्धि को उजागर करती है.
हर साल बढ़ रहे हैं डेटा चोरी के मामले
RBI रिपोर्ट के अनुसार, 2020 की तुलना में 2023 में डेटा उल्लंघनों से जुड़ा औसत खर्च 28% बढ़कर औसतन $2.18 मिलियन हो गया है. यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि रिपोर्ट इस लागत के टूटने या इसे कवर करने के लिए जिम्मेदार पक्षों की पहचान नहीं करती है. वैश्विक स्तर पर, पिछले वर्ष डेटा उल्लंघनों की औसत लागत $4.45 मिलियन थी, जो पिछले तीन वर्षों में 15% की वृद्धि को दर्शाती है. रिज़र्व बैंक के अनुमानों से पता चलता है कि वर्ष 2028 तक दुनिया भर में साइबर अपराध $13.82 ट्रिलियन से अधिक हो जाएगा.
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साइबर सुरक्षा बढाने की सलाह
RBI रिजर्व बैंक ने अपनी साइबर सुरक्षा को मजबूत करने और नई तकनीकों को अपनाने के लिए एक्सपेंडिचर बढाने का फैसला किया है. एक रिपोर्ट से पता चलता है कि केंद्रीय बैंकों ने अपने साइबर सुरक्षा बजट में 5% की बढोतरी हुई है. इससे पहले, रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैंकों को अपने साइबर सिक्योरिटी बढाने और साइबर हमलों से बचने के लिए टेक्नोलॉजी का उपयोग करने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रोत्साहित किया था. रिपोर्ट यह भी बताती है कि ऑटोमोटिव जैसे उद्योग साइबर खतरों के प्रति अधिक जोखिम में हैं, जबकि बैंकिंग और वित्त सुरक्षा जोखिमों से निपटने के लिए ज्यादा तैयार नजर आ रही हैं.
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