मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक समिति ने लगातार आठवीं पर नीतिगत ब्याज दर यानी रेपो रेट में किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया है. रेपो रेट पहले की ही तरह 4 फीसदी पर बरकरार है. आइए, जानते हैं आरबीआई के इस फैसले से जुड़ी 10 बड़ी बातें…
-
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने अपने बयान में कहा कि अर्थव्यवस्था को महामारी के कहर से बचाने के लिए रिजर्व बैंक ने अप्रत्याशित संकट से निपटने के लिए 100 से अधिक उपाय किए हैं. हमने वित्तीय बाजार को चालू रखने के लिए नए और अपरंपरागत उपाय करने में संकोच नहीं किया है.
-
उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि का अनुमान 9.5 फीसदी पर बरकरार रखा गया है. वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि का अनुमान 17.2 फीसदी है.
-
एमपीसी की पिछली बैठक के मुकाबले आज भारत बहुत बेहतर स्थिति में है. विकास की गति मजबूत होती दिख रही है. मुद्रास्फीति ट्रेजेक्टरी अनुमान से अधिक अनुकूल हो रही है.
-
आरबीआई ने आखिरी बार मई 2020 में रेपो रेट घटाया था. वह हर दो महीने में तीन दिन की बैठक करता है और पॉलिसी रेट पर फैसला करता है.
-
गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अब भी इकोनॉमी को लेकर अकोमडेटिव रूख बनाए रखा गया है. एमपीसी के सभी 6 सदस्यों ने एकमत से पॉलिसी रेट में बदलाव नहीं करने का फैसला किया है, जबकि अकोमडेटिव रूख को लेकर 5:1 के मतों से फैसला हुआ है.
-
अकोमडेटिव रुख बनाए रखने का मतलब पॉलिसी रेट में कमी होगी या उसे होल्ड किया जाएगा ताकि अर्थव्यवस्था को सपोर्ट मिल सके.
-
गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि रिजर्व बैंक लगातर ये कोशिशें करेगा कि महंगाई दर टारगेट के भीतर रहे.
-
गवर्नर ने कहा कि इकोनॉमिक आउटपुट अभी भी कोरोना के पहले के स्तर से नीचे बना हुआ है, लेकिन मुद्रास्फीति का रुख उम्मीद से अधिक अनुकूल है. आर्थिक गतिविधियां धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रही हैं. हाई फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर्स दिखाते हैं कि दूसरी तिमाही में आर्थिक गतिविधियां तेज हुई है.
-
चालू वित्त वर्ष के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के 5.3 फीसदी पर रहने का अनुमान है. पहले यह 5.7 फीसदी पर रखा गया था. वहीं, मार्च, 2022 के अंत तक खुदरा मुद्रास्फीति 5.3 फीसदी पर बनी रहेगी. खाद्यान्नों के रिकॉर्ड उत्पादन के कारण आने वाले महीने में खाद्य मुद्रास्फीति घट सकती है.
-
जुलाई-सितंबर तिमाही में खुदरा महंगाई के 5.9 फीसदी की जगह 5.1 फीसदी पर रहने और अक्टूबर-दिसंबर में 5.3 फीसदी के बजाय 4.5 फीसदी पर रहने की उम्मीद है. जनवरी-मार्च में ये 5.8 फीसदी तक पहुंच सकती है.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.