नयी दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा के लिए मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन तक चलने वाली बैठक में भले ही नीतिगत दरों (रेपो रेट) में किसी प्रकार का बदलाव नहीं है. इसके बदले में उसने अन्य कई प्रकार की सुविधाएं बढ़ायी हैं, ताकि भारतीय अर्थव्यवस्था को कोरोना संकट से उबारा जा सके. आइए, पढ़ते हैं देश के केंद्रीय बैंक के फैसलों से जुड़ी बड़ी बातों को…
ये रहीं मुख्य बातें
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मुख्य रेपो रेट 4 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी पर बरकरार.
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सोना के बदले कर्ज की सीमा बढ़ी. कोरोना वायरस महामारी के बीच परिवारों को राहत के लिए बैंक अब सोने के मूल्य के 90 फीसदी के बराबर कर्ज दे सकते हैं. अभी यह सीमा 75 फीसदी है.
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वृद्धि को प्रोत्साहन के लिए नरम रुख जारी रहेगा.
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अनिश्चित वैश्विक वातावरण में मौद्रिक नीति में आर्थिक वृद्धि को समर्थन को वरीयता दी जाएगी.
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मुद्रास्फीति के ऊपर की ओर जाने का जोखिम. अक्टूबर-मार्च के दौरान मुद्रास्फीति के नीचे आने का अनुमान.
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चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर नकारात्मक रहेगी.
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दबाव झेल रहे एमएसएमई क्षेत्र के कर्जदार ऋण पुनर्गठन के पात्र, लेकिन इसके लिए उनका खाता मानक के रूप में वगीकृत होना जरूरी.
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कोविड-19 के दबाव को कम करने के लिए बैंक, कॉरपोरेट और व्यक्तिगत कर्जदारों के ऋण का पुनर्गठन कर सकते हैं.
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कॉरपोरेट और व्यक्तिगत ऋणों के लिए एक नयी समाधान सुविधा बनायी जाएगी.
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कई बैंकों से ऋण सुविधाएं लेने वाले ग्राहकों द्वारा चालू खाते या ओवरड्रॉफ्ट खाते खोलने के लिए रक्षा उपाय किए जाएंगे.
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प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (पीएसएल) के दायरे में स्टार्टअप भी आएंगे.
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पीएसएल के तहत अक्षय ऊर्जा (सौर ऊर्जा सहित), छोटे और सीमान्त किसानों तथा ‘कमजोर वर्गों’ के लिए कर्ज की सीमा बढ़ायी गयी.
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ऑफलाइन तरीके से कम मूल्य के भुगतान के लिए पायलट योजना को मंजूरी. यूजर्स के हितों का संरक्षण किया जाएगा.
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डिजिटल भुगतान के लिए ऑनलाइन विवाद समाधान (ओडीआर) का प्रस्ताव.
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आवास क्षेत्र में लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) 5,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी उपलब्ध कराएगा.
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कृषि क्षेत्र को मदद के लिए नाबार्ड को 5,000 करोड़ रुपये का नकदी समर्थन.
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आर्थिक गतिविधियों में सुधार आ रहा है, लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ने से फिर लॉकडाउन लगाना पड़ रहा है.
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मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) मुद्रास्फीति को 4 फीसदी (दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) के लक्ष्य के दायरे में रखने को लेकर सतर्क.
Posted By : Vishwat Sen
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