ऑटो डेबिट पर RBI ने 6 महीने बढ़ाई समयसीमा, बैंकों को दी चेतावनी, जानिए ग्राहकों पर क्या होगा असर
RBI Auto-Debit Rule भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बिलों के ऑटो पेमेंट या डेबिट से जुड़े अपने दिशा-निर्देशों को लागू करने की समयसीमा 6 महीने के लिए बढ़ा दी है. आरबीआई ने एक बयान जारी कर सभी पक्षों के लिए नए ढांचे के तहत आने की समयसीमा को बढ़ाकर 30 सितंबर, 2021 तक कर दिया है. लोगों को इससे होने वाली असुविधा की आशंका के मद्देनजर रिजर्व बैंक ने यह कदम उठाया है.
RBI Auto-Debit Rule भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बिलों के ऑटो पेमेंट या डेबिट से जुड़े अपने दिशा-निर्देशों को लागू करने की समयसीमा 6 महीने के लिए बढ़ा दी है. आरबीआई ने एक बयान जारी कर सभी पक्षों के लिए नए ढांचे के तहत आने की समयसीमा को बढ़ाकर 30 सितंबर, 2021 तक कर दिया है. लोगों को इससे होने वाली असुविधा की आशंका के मद्देनजर रिजर्व बैंक ने यह कदम उठाया है.
RBI extends timeline for processing of recurring online transactions. To prevent any inconvenience to the customers, RBI has decided to extend the timeline for the stakeholders to migrate to the framework till September 30, 2021: Reserve Bank of India (RBI) pic.twitter.com/bFxGCmtTFe
— ANI (@ANI) March 31, 2021
भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि रिजर्व बैंक ने स्टेकहोल्डर्स के लिए नए फ्रेमवर्क पर माइग्रेट करने की समयसीमा को छह माह के लिए बढ़ाकर 30 सितंबर, 2021 कर दिया है. केंद्रीय बैंक ने साथ ही कहा है कि नई समयसीमा तक फ्रेमवर्क पर माइग्रेट नहीं करना गंभीर चिंता का विषय होगा और उससे अलग से तरह से निपटा जाएगा. आरबीआई ने कहा है, कुछ स्टेकहोल्डर्स द्वारा अनुपालन में विलंब से इस तरह की स्थिति पैदा हो गई है, जिससे बड़े पैमाने पर ग्राहकों को असुविधा और डिफॉल्ट की आशंका पैदा हो गई थी.
केंद्रीय बैंक ने कहा है कि ग्राहकों को किसी तरह की दिक्कत ना हो, इसे सुनिश्चित करने के लिए रिजर्व बैंक ने नए फ्रेमवर्क पर स्टेकहोल्डर्स के माइग्रेट करने की समयसीमा को 6 माह तक के लिए बढ़ा दिया है. केंद्रीय बैंक ने कहा है कि नई समयसीमा तक फ्रेमवर्क को अपनाने में विलंब करने पर स्टेकहोल्डर्स को कड़े सुपरवाइजरी एक्शन का सामना करना पड़ सकता है. रिजर्व बैंक ने कहा कि इसके बाद अगर कोई नियम का पालन नहीं करता है तो यह गंभीर चिंता की बात होगी और उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
रिजर्व बैंक ने कहा, कुछ स्टेकहोल्डर ने इस सिस्टम को लागू करने में जो देरी की है उसकी वजह से ऐसे हालात बने हैं कि ग्राहकों को बड़े पैमाने पर असुविधा होने की संभावना बनी. इस असुविधा को रोकने के लिए सभी पक्षों के लिए नए ढांचे में आने के लिए 30 सितंबर, 2021 तक का समय दिया गया है. असल में रिजर्व बैंक ने एक नया नियम बनाया है. जिसके मुताबिक मोबाइल, यूटिलिटी या अन्य यूटिलिटी बिल के लिए ऑटो पेमेंट, ओटीटी के लिए सब्सक्रिप्शन चार्ज, रेंटल सर्विस आदि के लिए आपके एकाउंट से हर महीने अपने आप पैसा कट जाने वाली व्यवस्था ओटीपी जैसा डबल प्रोटेक्शन लागू करना था. पहले इसे 1 अप्रैल, 2021 से लागू करना तय किया गया था.
आम तौर पर बिजली-गैस बिल, डीटीएच पेमेंट, ओटीटी प्लेटफॉर्म के चार्ज लोग ऑटो-डेबिट पर रखते हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि 1 अक्टूबर 2021 से बिल, सब्सक्रिप्शन का ऑटो डेबिट नहीं होगा. यानी अपने आप बिल का पैसा नहीं कटेगा. ऑटो पेमेंट फेल हो सकता है. ऑटो डेबिट के नए नियम, पेमेंट के बारे में ग्राहकों को सूचना देनी होगी.
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