RBI: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) के द्विमासिक समीक्षा के तहत मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक के बारे में आज सुबह शीर्ष बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने जानकारी दी. उन्होने बताया कि पूरी दुनिया के लिए भारत आर्थिक वृद्धि का इंजन बना हुआ है. मगर ये वक्त आत्मसंतुष्टि की का नहीं है. भारत में घरेलू मांग मजबूत बने रहने से अर्थव्यवस्था ग्लोबल परिवेश में जुझारू बनी हुई है. इस कारण आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए 6.5 प्रतिशत की वृद्धि दर के अनुमान को कायम रखा है. जबकि, अनुमान है कि 2023-24 में खुदरा मुद्रास्फीति 5.4 प्रतिशत रहेगी. आरबीआई गवर्नर ने बताया कि सब्जियों की कीमत कम होने और रसोई गैस सिलेंडर के दाम में घटने से निकट भविष्य में मुद्रास्फीति में नरमी आएगी. इसके साथ ही, सितंबर में भी महंगाई में थोड़ी नरमी देखने को मिली है. हालांकि, तीसरी तिमाही में भी खाद्य मुद्रास्फीति में कमी देखने को नहीं मिलेगी. शीर्ष बैंक ने कहा कि संपत्ति की गुणवत्ता में सुधार के साथ भारतीय बैंकिंग प्रणाली मजबूत बनी हुई है. मगर, रिर्जव बैंक के द्वारा रेपो दर में ढाई प्रतिशत की कटौती का पूरा लाभ अभी तक उपोभक्ताओं तक नहीं पहुंचा है.
देश में विदेशी मुद्रा भंडार 586.9 अरब डॉलर
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने जानकारी दी कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार 29 सितंबर को 586.9 अरब डॉलर के स्तर पर था. इसके साथ ही, बैठक में रिजर्व बैंक ने शहरी सहकारी बैंकों के लिए बुलेट भुगतान योजना के तहत गोल्ड लोन को दोगुना कर चार लाख रुपये करने का फैसला किया है. शीर्ष बैंक ने घोषणा की कि उसने भुगतान अवसंरचना विकास कोष योजना को दिसंबर, 2025 तक दो साल के लिए बढ़ा दिया है. शक्तिकांत दास ने कहा कि रिजर्व बैंक मुद्रास्फीती को लेकर काफी सजग है. लेकिन हमारा मुद्रास्फीति का लक्ष्य दो से छह प्रतिशत नहीं, चार प्रतिशत है. उन्होंने घोषणा की कि ग्राहकों के हितों की सुरक्षा के लिए आंतरिक लोकपाल योजना को और बेहतर बनाया जाएगा.अगस्त की मौद्रिक नीति समीक्षा में भी वृद्धि दर के 6.5 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया गया था. रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने लगातार चौथी बार प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर कायम रखने का फैसला किया है.
रेपो रेट को रखा बरकरार
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को लगातार चौथी बार नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा. इसका मतलब है कि मकान, वाहन समेत विभिन्न कर्जों पर मासिक किस्त (ईएमआई) में कोई बदलाव नहीं होगा. इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अपने आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को भी 6.5 प्रतिशत पर यथावत रखा है. चालू वित्त वर्ष के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के अनुमान को भी 5.4 प्रतिशत पर कायम रखा गया है. मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बुधवार से शुरू हुई तीन दिन की बैठक में किये गये निर्णय की जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि एमपीसी के सभी छह सदस्यों ने परिस्थितियों पर गौर करने के बाद आम सहमति से रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर कायम रखने का फैसला किया. रेपो वह ब्याज दर है, जिसपर वाणिज्यिक बैंक अपनी फौरी जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं. आरबीआई मुद्रास्फीति को काबू में रखने के लिये इसका उपयोग करता है.
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आरबीआई की मौद्रिक नीति समीक्षा से घरेलू बाजारों में तेजी
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समीक्षा से शुक्रवार को घरेलू बाजारों में तेजी रही. सुबह 11.15 बजे NIFTY 81.15 अंकों की बढ़ते के साथ 19,626.90 पर कारोबार कर रहा था. जबकि, BSE Sensex 279.66 अंकों की बढ़त के साथ 65,911.23 पर कारोबार कर रहा था. एशियाई बाजारों में मजबूत रुख से भी निवेशकों की धारणा को बल मिला. शुरुआती कारोबार में 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 257.41 अंक चढ़कर 65,888.98 अंक पर पहुंच गया। निफ्टी 78.25 अंक बढ़कर 19,624 अंक पर पहुंच गया. सेंसेक्स की कंपनियों में बजाज फिनसर्व, टाइटन, बजाज फाइनेंस, जेएसडब्ल्यू स्टील, मारुति, टाटा मोटर्स और इंडसइंड के शेयर लाभ में रहे. वहीं, लार्सन एंड टुब्रो, हिंदुस्तान यूनिलीवर, भारती एयरटेल और पावर ग्रिड के शेयर में गिरावट आई. अन्य एशियाई बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी, चीन का शंघाई कम्पोजिट और हांगकांग का हैंगसेंग फायदे में रहे, जबकि जापान का निक्की नुकसान में रहा. अमेरिकी बाजार बृहस्पतिवार को मामूली गिरावट के साथ बंद हुए थे. वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.33 प्रतिशत की बढ़त के साथ 84.35 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल के भाव पर रहा. विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बृहस्पतिवार को 1,864.20 करोड़ रुपये के शेयर बेचे.
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