RBI: ब्याज दरों में कटौती करने के मामले में आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने स्प्ष्ट कर दिया है कि मौजूदा हालात में केंद्रीय बैंक नीतिगत ब्याज दर (रेपो रेट) में कटौती करके जोखिम मोल नहीं लेगा. इसके पीछे उन्होंने तर्क दिया है कि इस समय खुदरा महंगाई दर ऊंचे स्तर पर है और पश्चिम एशिया एवं यूरोप में भू-राजनीतिक तनाव बना हुआ है. ऐसी स्थिति में ब्याज दर घटाना असामयिक और बहुत जोखिम भरा होगा. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि भविष्य का मौद्रिक नीतिगत कदम आगामी आंकड़ों और आर्थिक परिदृश्य पर निर्भर करेगा.
6 दिसंबर 2024 को रेपो रेट का ऐलान
अक्टूबर महीने की शुरुआत में ही आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में रेपो रेट को 6.5% पर कायम रखने का फैसला किया गया था. हालांकि, इसने मौद्रिक नीति के रुख को संशोधित करते हुए ‘तटस्थ’ कर दिया. अगली द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा 6 दिसंबर 2024 को की जाएगी. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने ब्लूमबर्ग की तरफ से आयोजित ‘इंडिया क्रेडिट फोरम’ कार्यक्रम में कहा कि सितंबर की खुदरा महंगाई दर उच्च स्तर पर है और आगामी आंकड़े के भी नरम होने से पहले उच्च रहने की आशंका है.
ब्याज दर में कटौती की उम्मीद नहीं
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि जब आपकी मुद्रास्फीति 5.5% है और अगला आंकड़ा भी ऊंचे स्तर पर रहने का अनुमान है तो इस समय ब्याज दरों में कटौती बहुत असामयिक होगी और यह बहुत जोखिम से भी भरा हो सकता है. उन्होंने भविष्य में ब्याज दर में कटौती किए जाने से संबंधित कोई संकेत देने से इनकार करते हुए कहा कि केंद्रीय बैंक आने वाले आंकड़ों और आर्थिक परिदृश्य के आधार पर कदम उठाएगा.
पुलिस की तरह काम नहीं करता आरबीआई
शक्तिकांत दास ने यह भी कहा कि आरबीआई किसी पुलिसकर्मी की तरह काम नहीं करता, बल्कि वह वित्तीय बाजार पर कड़ी नजर रखता है और जरूरत पड़ने पर नियामकीय कदम उठाता है. उनकी यह टिप्पणी नवी फिनसर्व और तीन अन्य गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) के खिलाफ गुरुवार को की गई नियामकीय कार्रवाई के एक दिन बाद आई है. आरबीआई ने सचिन बंसल की अगुवाई वाली नवी फिनसर्व एवं तीन अन्य एनबीएफसी को 21 अक्टूबर की कारोबार समाप्ति से कर्ज मंजूर करने और वितरण से रोकने का आदेश दिया है. उन्होंने कहा कि हम पुलिसकर्मी नहीं हैं, लेकिन हम नजर रखे हुए हैं. हम बहुत करीबी निगाह रखे हुए हैं. हम कर्ज बाजारों पर निगरानी रखते हैं और जब जरूरी हो जाता है तो हम कार्रवाई करते हैं.
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महंगाई घटने की उम्मीद
शक्तिकांत दास ने मौजूदा समय को भारत का दौर बताते हुए कहा कि भारत की वृद्धि की गाथा अभी भी कायम है. महंगाई अब काफी हद तक लक्ष्य सीमा के भीतर आ गई है. इसके कम होने की उम्मीद है. उन्होंने वृद्धि और मुद्रास्फीति के बीच संतुलन को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि आरबीआई इन दोनों के संबंध में समग्र दृष्टिकोण की निगरानी में बहुत सावधानी बरत रहा है.
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