RBI Governor on Inflation: भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास का मानना है कि मुद्रास्फीति का रुख अब नीचे की ओर है. शक्तिकांत दास ने कहा कि भारत में आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति कम होने की संभावना है. आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने जी बिजनेस के साथ विशेष बातचीत में कहा कि मुद्रास्फीति एक वैश्विक घटना बन गई है. उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति का वैश्वीकरण अब हो गया है. आरबीआई के गवर्नर ने कहा कि वैश्विक स्थिति को देखते हुए, हम कह सकते हैं कि अप्रैल में भारत में मुद्रास्फीति अपने चरम पर पहुंच गई थी, लेकिन अब धीरे-धीरे नीचे आएगी.
आरबीआई गवर्नर के मुताबिक, आने वाले महीनों में थोड़ा-बहुत उतार-चढ़ाव होगा. शक्तिकांत दास ने कहा कि मुद्रास्फीति के नीचे की ओर बढ़ने के कई कारण हैं. सबसे पहले कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आ रही है. कमोडिटी और खाद्य कीमतों में भी नरमी आई है. शक्तिकांत दास ने हालांकि उन पहलूओं पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया जिनकी घोषणा आगामी नीति बैठक के बाद की जा सकती है. उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति के संदर्भ में कोई आगे का मार्गदर्शन देना मुश्किल और गलत भी होगा, क्योंकि स्थिति बदलती रहती है.
भारत की मुद्रास्फीति अप्रैल 2022 में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई, जब उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति 7.79 प्रतिशत पर पहुंच गई. जुलाई में सीपीआई घटकर 6.71 प्रतिशत रह गई, जो जून में 7.01 प्रतिशत थी. अप्रैल 2022 के बाद पहली बार खुदरा महंगाई दर 7 फीसदी के स्तर से नीचे आई है. शक्तिकांत दास ने कहा कि पहली तिमाही में विकास दर तुलनात्मक रूप से कम रही है, जो आरबीआई के अनुमान से काफी कम है. उन्होंने कहा कि आगामी नीति बैठक में इस पर ध्यान दिया जाएगा. हमने कुछ क्षेत्रों की पहचान की है और गहन अध्ययन के बाद आगामी मौद्रिक नीति में उन्हें तदनुसार संबोधित करेंगे. केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने कहा कि भले ही मुद्रास्फीति से निपटने के मामले में विकास से थोड़ा समझौता किया गया हो, लेकिन आरबीआई ने विकास पर प्रभाव को कम करने के उपाय किए हैं.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.