रेपो रेट में बढ़ोतरी होगी या कोई बदलाव नहीं, RBI मौद्रिक समिति की आज से शुरू हो रही बैठक में होगा फैसला

आरबीआई के सामने महंगाई एक बड़ी चुनौती है, मगर वह नीतिगत ब्याज दरों को कोरोना पूर्व के स्तर पर लाने के मूड में है. ऐसे में रेपो रेट में इजाफा होने की संभावना अधिक नजर आ रही है. आज से मौद्रिक नीति समिति की बैठक शुरू होने जा रही है, जिसमें रेपो रेट तय की जाएगी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 3, 2022 10:55 AM

मुंबई : द्विमासिक मौद्रिक नीति की समीक्षा के लिए आज से शुरू भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक में नई रेपो रेट पर फैसला किया जाएगा. आरबीआई ने पिछले आठ जून को ही रेपो रेट में करीब 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी की थी. इससे पहले, आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने मई महीने में भी रेपो रेट में करीब 0.40 फीसदी की बढ़ोतरी की थी. इन दो महीनों के दौरान आरबीआई ने रेपो रेट में करीब 0.90 फीसदी तक इजाफा कर दिया है. संभावना जाहिर की जा रही है कि अमेरिका के फेडरल रिजर्व द्वारा अभी हाल ही में ब्याज दरों में इजाफा किए जाने के बाद आरबीआई मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रेपो रेट में 0.25 से 0.35 फीसदी तक इजाफा करने का फैसला कर सकता है.

उदार नीतियों को धीरे-धीरे वापस लेगा आरबीआई

हालांकि, आठ जून को नई रेपो रेट की घोषणा करते समय ही आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस बात के भी संकेत दे दिए थे कि नीतिगत ब्याज दरों के मामले में केंद्रीय बैंक चरणबद्ध तरीके से अपनी उदार नीतियों को वापस ले लेगा. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास के इस संकेत के आधार पर ही विशेषज्ञों, रेटिंग और वित्तीय एजेंसियों द्वारा इस बार की बैठक में भी आरबीआई की ओर से रेपो रेट में बढ़ोतरी करने का अनुमान लगाया जा रहा है.

महंगाई पर काबू करना आरबीआई की सबसे बड़ी चुनौती

यह बात दीगर है कि नीतिगत ब्याज दरों के स्तर पर आरबीआई अपनी उदारता को समाप्त करने का संकेत दे चुका है, लेकिन वैश्विक संकेतों, भू-राजनीतिक परिस्थितियों, भारतीय मुद्रा रुपये में गिरावट और कच्चे तेल के दामों में उतार-चढ़ाव की वजह से बढ़ती महंगाई पर काबू पाना भी केंद्रीय बैंक के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. खुदरा महंगाई दर अब भी 6 फीसदी से ऊपर चढ़ा हुआ है. हालांकि, आरबीआई ने इसे 4 फीसदी तक बनाए रखने का लक्ष्य निर्धारित किया हुआ है.

आजादी के बाद पहली बार आटा-चावल और दूध-दही पर जीएसटी

वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) परिषद की पिछले महीने ही हुई बैठक में आटा-चावल, दूध-दही और पैकेटबंद खाद्य पदार्थों पर पांच फीसदी की दर से जीएसटी वसूलने का फैसला किया है. इसके अलावा, पहले से भी खाने-पीने की वस्तुओं के साथ सब्जियों, फलों, अंडा, दूध आदि की कीमतें अपने चरम पर है. बताया यह भी जा रहा है कि आजादी के बाद यह पहला ऐसा वक्त है, जब जीएसटी परिषद ने आवश्यक खाद्य पदार्थ आटा-चावल और दूध-दही पर भी टैक्स लगाने का फैसला किया है.

Also Read: आपके लोन की ईएमआई फिर हो सकती है महंगी, रेपो रेट तय करने के लिए तीन अगस्त से बैठक करेगा आरबीआई
कोरोना के पूर्व स्तर पर रेपो रेट लाना चाहता है आरबीआई

विशेषज्ञों की मानें, तो कोरोना महामारी के दौरान भारत की अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए आरबीआई ने उदार नीति अख्तियार करते हुए रेपो रेट में कटौती करने का फैसला किया था, लेकिन अब अर्थव्यवस्था के करीब-करीब पटरी पर लौट आने के बाद वह रेपो रेट को महामारी के पूर्व स्तर पर लाकर खड़ा कर देना चाहता है. विशेषज्ञों का कहना है कि महंगाई पर काबू करने के लिए आरबीआई रेपो रेट को कोरोना महामारी के पूर्व स्तर पर लाने के लिए इसमें बढ़ोतरी करना जारी रखेगा. हालांकि, आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने आठ जून को ही इस ओर इशारा कर दिया था कि इस साल भारतीय उपभोक्ताओं को महंगाई से निजात मिलना संभव नहीं है.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Next Article

Exit mobile version