RBI: एप से कर्ज देने वाले कंपनियों पर अब रिजर्व बैंक कसेगा शिकंजा, होने जा रहा है ये बड़ा बदलाव

RBI: मोबाइल एप के माध्यम से इंस्टैंट लोन के नाम पर लोगों को चूना लगाने के कई मामले सामने आ रहे हैं. ऐसे में, रिजर्व बैंक ने इसे लेकर सख्त रुख अपना लिया है. बैंक इसके रोकथाम के लिए डिजिटल इंडिया ट्रस्ट एजेंसी बनाने पर विचार कर रहा है.

By Madhuresh Narayan | April 1, 2024 10:15 AM

RBI: भारतीय रिजर्व बैंक अवैध रुप से ग्राहकों को कर्ज देने के नाम पर बेवकूफ बनाने और धोखाधड़ी करने वाले एप पर सख्ती करने वाली है. शीर्ष बैंक इसे लेकर डिजिटल इंडिया ट्रस्ट एजेंसी (DIGITA) की गठन करने के बारे में विचार कर रही है. बताया जा रहा है कि हाल के दिनों में देश में ऐसे एप की संख्या काफी तेजी से बढ़ी है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, प्रस्तावित एजेंसी डिजिटल ऋण देने वाले ऐप का सत्यापन करेगी और सत्यापित ऐप का एक सार्वजनिक रजिस्टर बनाएगी. जिन ऐप पर डीआईजीआईटीए के सत्यापन का निशान नहीं होगा, उन्हें अनधिकृत माना जाना चाहिए. इससे डिजिटल क्षेत्र में वित्तीय अपराधों के खिलाफ लड़ाई में मदद मिलेगी. समझा जा रहा है कि इससे लोन लेने वाले लोगों को किसी बड़े वित्तीय परेशानी से बचने में मदद मिलेगी. उम्मीद है कि एजेंसी के गठन के बाद बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा.

डीआईजीआईटीए करेगी एप की जांच

डीआईजीआईटीए को डिजिटल ऋण देने वाले ऐप की जांच की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी. सूत्रों के अनुसार इस सत्यापन प्रक्रिया से डिजिटल ऋण क्षेत्र के भीतर अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही पैदा करने में मदद करेगी. इस बीच रिजर्व बैंक ने आईटी मंत्रालय के साथ 442 डिजिटल ऋण देने वाले ऐप की एक सूची साझा की है, ताकि उन्हें गूगल पर प्रतिबंधित किया जा सके. गूगल ने सितंबर 2022 से अगस्त 2023 तक अपने ऐप स्टोर से 2,200 से अधिक डिजिटल तरीके से कर्ज देने वाले ऐप को हटाया है.

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‘केवाईसी के नाम पर धोखाधड़ी से बचे’

रिजर्व बैंक ने केवाईसी के नाम पर धोखाधड़ी के मामलों को लेकर भी सावधान किया है. आरबीआई ने कहा कि केवाईसी दस्तावेज या उनकी प्रतियां अज्ञात या गैर-सत्यापित व्यक्तियों या संगठनों के साथ साझा न करें. बैंक ने कहा कि खाता लॉगिन क्रेडेंशियल, कार्ड की जानकारी, पिन, पासवर्ड, ओटीपी भी किसी के साथ साझा न करें. केंद्रीय बैंक ने कहा कि इस तरह की धोखाधड़ी के लिए आमतौर पर ग्राहकों को फोन कॉल, एसएमएस, ईमेल सहित अनचाहे संचार भेजे जाते हैं और इनके जरिए ग्राहकों से व्यक्तिगत जानकारी लेने या संदिग्ध ऐप डाउनलोड कराने की कोशिश की जाती है.

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