22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

भारत में महंगाई से मंदी का जोखिम कम, आर्थिक गतिविधियों में बनी रहेगी मजबूत,रिजर्व बैंक ने बतायी महत्वपूर्ण बात

RBI: आरबीआई बुलेटिन में प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि साथ ही 2024-25 की पहली तीन तिमाहियों में खुदरा मुद्रास्फीति मौजूदा 5.6 प्रतिशत से घटकर 4.6 प्रतिशत पर आ सकती है.

RBI: एक तरफ पूरी दुनिया मंदी की आहट से परेशान है. वहीं, देश से शीर्ष बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का दावा है कि भारत में महंगाई जनित मंदी का खतरा नहीं है. साथ ही, भारत में आर्थिक गतिविधियों में व्यापक मजबूती बनी रहने की संभावना है. आरबीआई बुलेटिन में प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि साथ ही 2024-25 की पहली तीन तिमाहियों में खुदरा मुद्रास्फीति मौजूदा 5.6 प्रतिशत से घटकर 4.6 प्रतिशत पर आ सकती है. लेख में अर्थव्यवस्था के बारे में कहा गया कि 2024 में वैश्विक वृद्धि की रफ्तार और धीमी हो सकती है. मुद्रास्फीति विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में अलग-अलग गति से ब्याज दरों में कटौती का रास्ता साफ कर सकती है. लेख के मुताबिक भारत में, आर्थिक गतिविधियों में जारी मजबूती कच्चे माल की लागत में कमी और कॉरपोरेट मुनाफे के चलते आगे भी बनी रहने की उम्मीद है. आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा के नेतृत्व वाले एक दल ने यह लेख तैयार किया है. आरबीआई ने हालांकि कहा कि लेख केंद्रीय बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करता है.

Also Read: SGB: मुश्किल वक्त में संकटमोचन बनेगा गोल्ड! RBI से सस्ता सोना खरीदने का है मौका, एक ग्राम की कीमत होगी बस इतनी

भारत में मुद्रास्फीति-जनित मंदी का जोखिम कम

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के स्टाफ सदस्यों ने प्रकाशित एक अध्ययन रिपोर्ट में कहा कि भारत के मुद्रास्फीति-जनित मंदी यानी स्टैगफ्लेशन में फंसने की आशंका कम है. जब आर्थिक वृद्धि दर में सुस्ती के बीच मुद्रास्फीति तेजी से बढ़ती है तो उस स्थिति को स्टैगफ्लेशन कहते हैं. देव प्रसाद रथ, सिलु मुदुली और हिमानी शेखर के एक अध्ययन में कहा गया कि भारत में मुद्रास्फीति-जनित मंदी का जोखिम सिर्फ एक प्रतिशत है. इसमें कहा गया कि इस बार जिंस कीमतों के झटके अधिक गंभीर नहीं हैं. इस अध्ययन के मुताबिक, पिछले तीन दशकों में एशियाई संकट (1997-98), वैश्विक वित्तीय संकट (2008-09) और कोविड-19 महामारी जैसे प्रकरणों ने मुद्रास्फीति-जनित मंदी के जोखिम को बढ़ा दिया है. हालांकि यह अध्ययन आरबीआई के आधिकारिक विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करता है. इसके मुताबिक, कोविड-19 महामारी के समय जिंस कीमतों में तेजी और अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने से मुद्रास्फीति-जनित मंदी का जोखिम बढ़ा था. लेकिन वित्तीय स्थिति काबू में आने, रुपये की गिरावट थमने और घरेलू स्तर पर पेट्रोल-डीजल की कीमतें स्थिर होने से यह जोखिम घटा है.

केंद्र सरकार के किया मजबूत कर संग्रह

दिसंबर 2023 के बुलेटिन में अध्ययन – सरकारी वित्त 2023-24: एक अर्ध-वार्षिक समीक्षा में कहा गया है कि केंद्र ने मजबूत कर संग्रह दर्ज किया है. इससे अर्थव्यवस्था में निरंतर सुधार, बेहतर कर शासन और प्रशासन के साथ-साथ कॉर्पोरेट क्षेत्र की लाभप्रदता में सुधार परिलक्षित हुआ. कम विनिवेश प्राप्तियों की भरपाई गैर-कर राजस्व में तेज बढ़ोतरी से होने की संभावना है, जिसका मुख्य कारण रिजर्व बैंक और अन्य वित्तीय संस्थानों से मिलने वाला उच्च लाभांश है. व्यय के मोर्चे पर, पूंजीगत व्यय पर जोर देने से केंद्र सरकार के व्यय की गुणवत्ता में महत्वपूर्ण सुधार सुनिश्चित हुआ है. केंद्र ने (H1Fy24) में अपने बजटीय राजस्व का आधे से अधिक हासिल किया, जबकि अपने व्यय को पूरे वित्तीय वर्ष के लिए अनुमानित आधे से भी कम पर सीमित रखा. इसमें कहा गया है कि यह केंद्र के लिए 2023-24 के लिए सकल घरेलू उत्पाद के 5.9 प्रतिशत के जीएफडी लक्ष्य को पूरा करने के लिए अच्छा संकेत होगा.

राज्यों ने भी अपने राजकोषीय मापदंडों में मजबूती देखी है, जैसा कि उनके कर राजस्व में निरंतर उछाल से स्पष्ट है. विशेष रूप से, उन्होंने सुधारों से जुड़े केंद्रीय धन और अपने स्वयं के संसाधनों दोनों का उपयोग करके, फ्रंट-लोड कैपेक्स के केंद्र के रुख के अनुरूप अपने पूंजीगत व्यय में वृद्धि की है. हालांकि, राज्य अपने पूंजीगत व्यय की गति को व्यय और राजस्व दोनों मोर्चों पर बनाए रखने में कई चुनौतियों से जूझ रहे हैं. अध्ययन में कहा गया है कि कुछ राज्यों द्वारा पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को वापस लेने और कुछ अन्य राज्यों के उसी दिशा में आगे बढ़ने की रिपोर्ट से राज्य के वित्त पर भारी बोझ पड़ेगा और विकास बढ़ाने वाले पूंजीगत व्यय करने की उनकी क्षमता सीमित हो जाएगी.

(भाषा इनपुट के साथ)

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें