भारतीय रिजर्व बैंक ने गुरुवार को 25वीं फाइनेंशियल स्टैबिलिटी रिपोर्ट यानी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (FSR) जारी की. इसमें कहा गया है कि वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था रिकवरी के रास्ते पर है. रिजर्व बैंक की यह रिपोर्ट वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (FSDC) की उप-समिति की वित्तीय स्थिरता और वित्तीय प्रणाली के लचीलेपन के जोखिमों पर सामूहिक मूल्यांकन को दर्शाता है. रिजर्व बैंक की रिपोर्ट की खास बातें इस प्रकार हैं.
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इस रिपोर्ट में बताया गया है कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (SCBs) के जोखिम-भारित संपत्ति अनुपात (CRAR) की पूंजी बढ़कर 16.7 फीसदी हो गयी, जबकि उनकी सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (GNPA) अनुपात मार्च 2022 में 6 साल के निचले स्तर 5.9% पर आ गया.
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रिपोर्ट में कहा गया है कि यूरोप में युद्ध की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था खस्ताहाल हो चुकी है. इसकी वजह से ही महंगाई बढ़ गयी है. कोविड19 के कई चरणों के खतरे ने केंद्रीय बैंकों पर दबाव बढ़ा दिया है.
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रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था रिकवरी के रास्ते पर है. हालांकि, महंगाई का दबाव, बाहरी खर्च और भू-राजनीतिक जोखिमों का सावधानीपूर्वक प्रबंधन और उसकी कड़ी निगरानी की जरूरत है.
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वैश्विक खतरों से बचाने के लिए बैंकों और नन-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों के पास पर्याप्त पूंजी है.
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अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) की पूंजी जोखिम भारित परिसंपत्ति अनुपात (सीआरएआर) बढ़कर 16.7 प्रतिशत के नये उच्च स्तर पर पहुंच गयी, जबकि उनका सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (जीएनपीए) अनुपात मार्च 2022 में 6 साल के निचले स्तर 5.9 प्रतिशत तक गिर गया.
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रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि क्रेडिट जोखिम के लिए मैक्रो स्ट्रेस टेस्ट से पता चलता है कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) गंभीर तनाव परिदृश्यों में भी न्यूनतम पूंजी आवश्यकताओं का अनुपालन करने में सक्षम होंगे.
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