मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा के दौरान देश के आम नागरिकों को राहत प्रदान करते हुए नीतिगत ब्याज दर रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया है. गुरुवार को मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में ब्याज दरों पर किए गए फैसलों का ऐलान करते हुए आरबीआई गवर्नर ने कहा कि केंद्रीय बैंक ने नीतिगत ब्याज दर रेपो रेट में किसी प्रकार की बढ़ोतरी करने का फैसला नहीं किया है. उन्होंने कहा कि इस समय वैश्विक अर्थव्यवस्था अशांति के नए दौर का सामना कर रही है. हालांकि, विशेषज्ञ रेपो रेट में करीब 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान लगा रहे थे.
मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक में किए गए फैसलों के बारे में जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि हम भू-राजनीति और अर्थव्यवस्था में अभूतपूर्व अनिश्चितता देख रहे हैं. उन्होंने कहा कि कि मौद्रिक नीति समायोजन को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रहेगा, जिससे बैंकिंग और गैर-बैंकिंग वित्तीय प्रणाली स्वस्थ रह सकती है.
अमेरिकी बैंकों की विफलता बड़ा मुद्दा
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करते हुए कहा कि अमेरिका में बैंकों के विफल होने से वित्तीय संकट मुद्दा बना है. उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया. रेपो रेट 6.5 फीसदी पर बरकरार है. उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने आम सहमति से नीतिगत दर को 6.5 फीसदी पर बरकरार रखने का फैसला किया.
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महंगाई में जल्द आएगी गिरावट
आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि भारत की बैंकिंग और गैर-बैंकिंग वित्तीय प्रणाली मजबूत बनी हुई है. इसके साथ ही, आर्थिक गतिविधियां मजबूत बनी हुई हैं और 2022-23 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान है. इसके साथ ही, वित्त वर्ष 2023-24 में आर्थिक वृद्धि दर 6.5 फीसदी रहने का अनुमान है. उन्होंने कहा कि मुख्य मुद्रास्फीति ऊंची बनी हुई है और चालू वित्त वर्ष 2023-24 में मुद्रास्फीति 5.2 फीसदी रहेगी. पहली तिमाही में यह 5.1 फीसदी पर होगी. रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति में नरमी आएगी. मुद्रास्फीति पर अंकुश के प्रयास जारी रहेंगे.
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