Inflation: अगस्त में खुदरा महंगाई दर के बढ़कर 7 फीसदी होना चिंता का विषय माना जा रहा है. हालांकि, इसके पीछे मुख्य वजह फूड इंफ्लेशन यानी खाने-पीने की चीजों के दाम बढ़ने को बताया जा रहा है. इन सबके बीच, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की 30 सितंबर हो बैठक होने जा रही है. संभावना जताई जा रही है कि इस बैठक में नीतिगत रेपो रेट (Repo Rate) में 50 बेसिस पॉइंट्स की बढ़ोतरी का फैसला हो सकता है.
दरअसल, चिंता की बात यह है कि महंगाई दर के मामले में भारतीय रिजर्व बैंक लगातार 8 महीने से 6 फीसदी के निर्धारित लक्ष्य को हासिल नहीं कर पा रहा है. वहीं, रिजर्व बैंक ने महंगाई दर पर काबू पाने के लिए नीतिगत ब्याज दर में लगातार इजाफा किया है. ऐसे में अब यह सवाल उठ रहे है कि आने वाले दिनों में रिजर्व बैंक क्या रेपो रेट में और बढ़ोतरी करेगा?
महंगाई दर के नए आंकड़े सामने आने के बाद कई एक्सपर्ट्स ने इस बारे में अपनी राय सामने रखी है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी का रुख दूसरे देशों के केंद्रीय बैंकों के अनुरूप रहने की उम्मीद है. इससे रुपये की गिरावट, फंड के आउटफ्लो और आयात की महंगाई को रोकने में मदद मिलेगा. हालांकि, घरेलू स्तर पर कीमतों में कमी के संकेत मिलने लगे हैं.
कैपिटल इकोनॉमिक्स के वरिष्ठ भारतीय अर्थशास्त्री शिलन शाह ने कहा कि यह स्पष्ट है कि मुद्रास्फीति में असहज रूप से तेजी बनी हुई है और अगस्त का डेटा एमपीसी के कई सदस्यों की चिंताओं को कम करने के लिए कुछ नहीं करेगा. शाह को उम्मीद है कि सितंबर की बैठक के बाद होने वाली दो बैठकों में आरबीआई 25 आधार अंकों की बढ़ोतरी पर स्विच करेगा, जिससे अगले साल की पहली तिमाही में रेपो दर 6.40 फीसदी हो जाएगी. वहीं, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के मुताबिक, असमान मानसूनी बारिश के कारण सितंबर के पहले दो हफ्तों में खाद्य कीमतों में तेजी आई है. नतीजतन, सितंबर सीपीआई मुद्रास्फीति के लिए प्रारंभिक अनुमान 7.3 फीसदी पर रहने की संभावना है. बैंक को उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष में महंगाई दर औसतन 6.7 फीसदी रहेगी.
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